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प्रसंगोचित आलोचना
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कौटल्यने बार्हस्पत्य भादि समस्त अर्थशास्त्रों को जानकर उनके व्यावहारिक प्रयोगों को अपने तात्कालिक राजनैतिक व्यवहारों में प्रत्यक्ष प्रयोगके द्वारा सुनिश्चित सत्य के रूप में पाकर चन्द्रगुप्त राजाके लिये शासन विधिका उपदेश किया। अर्थात कौटल्यने इस अपने शास्त्र में अपने राजनैतिक विचारोंकी पूर्णता और सौष्ठव को पराकाष्ठा तक पहुँचा दिया है । इस अनुद्यमान तथा व्याख्यायमान ग्रन्थमें अनुदित तथा व्याख्यात ५७१ चाणक्य सूत्र प्रायः उसी कौटलीय अर्थशास्त्र के निचोड हैं। ग्रन्थकारने इन सूत्रोंमें धर्म और राजनीतिको अलग समझनेवाले भाजके पाठकों के सम्मुख राज. नीतिको धर्मसे अलग न होने देनेवाला अपना दृष्टिकोण रक्खा है और राष्ट्रकल्याणकी दृष्टि से धर्म तथा राजनीति संबन्धी विचारोंके परिमार्जनका सफल प्रयास किया है। ___ मनुष्यसमाजको आदर्श समाज-रचना तथा आदर्श चरित्र-निर्माणके पाठ देकर उसे पच्चो सुख शान्तिका मार्ग दिखाना ही ब्राह्मण चाणक्य के आर्य जीवन का एकमात्र उद्देश्य था। आर्य चाणक्यको अध्यात्मसे अनु. प्राणित भारतीय राजनीति तथा आर्षप्रतिभाका समन्वित तथा पूर्ण विक. लित रूप कहना अत्युक्त नहीं है । उनके संबन्धमें यह भी अतिशयोक्ति नहीं है कि इस प्रकारकी व्यावहारिक बुद्धि रखनेवाले उलझन भरे राजनैतिक व्यवहारों में भी धर्मको सुरक्षित रखने वाले राज्य संस्थाको लटका ठेका मात्र न रहने देनेवाले प्रत्युत उसे तपोवनका जगत् पावन रूप देनेवाले प्रतिकूल परिस्थितियों से संग्राम करके उन सबपर अपने बुद्धि बलसे विजय पा लेनेवाले चाणक्य जैसे व्यक्ति संसार भरके इतिहासमें देखनेको नहीं मिलते ।
आर्य चाणक्यने ढाई सहस्र वर्ष पूर्व अपने जिन विभ्राट कर्मोंसे भारतीय इतिहासको सुशोभित किया है और भारत में अपने जैसे लोकोत्तर कर्मकी पुनः पुनः आवृत्ति होते रहने का शाश्वत साधन प्रस्तुत कर देनेवाली अपनी राजनैतिक प्रतिभाको कोटलीय अर्थशास्त्र तथा चाणक्य सूत्रोंका रूप
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