________________
[2]
वस्तुयें अपने अपने गुणों में ही परिणमती हैं ।
卐淡卐
४ - ६. भेदविज्ञान कल्याण मन्दिर का प्रारम्भिक सोपान है ।
फ्रॐ फ
५-७०. तेरा दृश्य पदार्थों और मनुष्यों से क्या सम्बन्ध ? जो निरन्तर इनके निमित्त से अपनी अनाकुलता खो बैठते हो ।
ॐ फ्र
६-६६. भगवती प्रज्ञा के प्रसाद से आत्मा विजय प्राप्त करता है ।
卐淡卐
C
७ - १०१. क्या दर्पण में मुख देखने वाले का मुख दर्पण में
चला जाता है ? यदि चला जाता तो शरीर मुख रहित हो जाना चाहिये सो बात हैं नहीं, बात यह है कि दर्पण
की स्वच्छता में समक्ष वस्तु का प्रतिभास होता, इसलिये दर्पण का द्रष्टा मुखादि का भी द्रष्टा होजाता इसी तरह स्वच्छ आत्मा का द्रष्टा ज्ञाता विश्व का द्रष्टा ज्ञाता हो जाता परन्तु विश्व उस आत्मा में नहीं चला जाता । फॐ फ्र ८ - १०२. वृक्ष के नीचे रहने वाली छाया क्या वृक्ष की है ?