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६० सहिष्णुता
१-७७५. महात्मा को कसौटी सहिष्णुता है।
२-७७६. जो जरा सी भी कही बात या दूसरों के द्वारा
श्राराम यादर न किये जाने की बात नहीं सह सकता उसमें महात्मत्व की गंध नहीं ।
३-७८१. जो पुरुप दूसरों के द्वारा की जाने वाली अपनी निन्दा को सुनकर भी क्षोभ नहीं लाते, समता से सहन कर नाते वे महात्मा धन्य हैं।
४-७८२. देह के सुखियापन का जिन्हें जरा भी ध्यान नहीं
होता और देह न दुःख समता से सहकर आत्मसाधना में ही उपयुक्त रहते हैं वे महात्मा धन्य हैं।
५-७८३, सहनशोल पुरुष ही जग का जेता हो सकता है,