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[ २१ ] आपने १० जनवरी सन् १९५१ ई० में मेरठ सदर में धर्म शिक्षा सदन की स्थापना की जहां पर आत्म-विद्यार्थी को सिखाया जाता है कि जिस धर्म के द्वारा उसका जीवन सुख और शांतिमय बन सकता है वह धर्म है क्या? अब मेरठ सदर में ही नहीं वरन मेरठ शहर, मुजफ्फरनगर, कैराना, कांधला और शामली में भी धर्म शिक्षा सदन सुचारु रूप से जन कल्याण का कार्य कर रहे है । आत्म विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाने के लिये आपने १० जौलाई सन् १९५१ ई० को मेरठ सदर में उत्तर प्रान्तीय श्री धर्म शिक्षा परीक्षालय की स्थापना की जिसमें आत्म विद्यार्थियों की परीक्षा का बहुत ही उत्तम प्रबन्ध है। बालकों और व्यापारियों तक ही सीमित न रखकर आपने इस कार्य को आगे बढ़ाया। सितम्बर सन् १९५१ ई० में मेरठ सदर में श्री श्राविका धर्म शिक्षा सदन की स्थापना की जिसका उद्देश्य महिलाओं को धर्म शिक्षा देना है।
यूतो जिसने भी आपका उपदेश सुना उसका ही कल्याण हुआ परन्तु जो साक्षात आपके चरण चिन्हों पर चल रहे हैं वे हैं श्री ब्र० रामानन्द जी, श्रो व्र० ब्रह्मानन्द जी श्री व्र० रामानन्द जो व श्री ७० जयानन्द जी ७० जीवानन्द जी २१ वर्ष पहिले अजैन थे इन्हें पद्मपुराण की कथा श्रवण से ही जैन धर्म की श्रद्धा हो गई थी फिर पूज्य श्री महावर्णी नी का स्त्समागम प्राप्त रहा अब पूज्य श्री महावी जी के आदेशानुसार आपके