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[ २२१ ] १० - ७०५, आजकल बड़ी मँहगाई का जमाना चल रहा है चीज सभी मँहगी होती जा रही है अथवा पर वस्तु सब मँहगी ही पड़ रही है, किन्तु तू ने विकल्पों का बड़ा सस्ता बना रक्खा है । अरे ! इसका फल बड़ा मँहगा पड़ेगा, विकल्पों को छोड़, यदि विकल्प ही हो तो विकल्परहित शुद्धस्वरूप की भावना रूप ही विकल्प हो । फ ॐ फ
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११-७३०. सहजानन्द ! तू सहजानन्द है तेरे में कौनसी कम बात है जो आपे से बाहर होता अपने सहजानन्द भाव का श्रद्धान व आचरण कर, सर्व विकल्पों से मुक्त
वन ।
ॐ
१२- २१४. निर्दोष प्रतिज्ञा पालन करने पर मैंने निर्दोष प्रतिज्ञा पाली ऐसा विकल्प भी स्वभाव के विकास का बाधक है अतः जो निर्दोष प्रतिज्ञ उस विकल्प से भी दूर है वही धीर मोक्षमार्गी है ।
फ ॐ फ
१३ - ७४८, दुख में दुखी और लौकिक सुख में सुखी रहने वाला पुरुष अथम है, दुख में भी सुखी रहने वाला पुरुष