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[ ११ ] श्रीमती तुलसाबाई ने एक पुत्र रत्न को जन्म दिया है । उसीका यह आनन्दोत्सव मनाया जा रहा है। पिता श्री गुलाब राय जी के हर्ष का कोई पारावार ही नहीं । चाचा वगैरह प्रसन्नता से फूले नहीं समाते । सभी ने मिलकर इस सौम्य मूर्ति को नाम दिया 'मदन मोहन' |
बालक मगनलाल :
किसी को मन्द मुसकान से, किसी को अपनी सुन्दर चाल ढाल से, और किसी को तुतलाती भाषा से रंजित करना हुआ चालक चढ़ने लगा । परन्तु देव - देव से यह सब न देखा गया । ३ वर्ष का बालक - बीमार पड़ा- ऐसा बीमार बचने की कोई आशा नहीं। परिवारजनों ने बालक के जीवित रहने की आशा से बालक का अशुभ नाम रखा 'मगनलाल' अर्थात मांगा हुआ । पुण्य ने साथ दिया । मगनलाल के पेट की नसों पर गर्म लोहा रखा गया । वह बच गया। क्या पता था किसी को उस समय कि बालक मगन का यह नाम सार्थक हो सिद्ध होगा अर्थात् भविष्य में वह सदा ही अपने आत्मावलोकन में 'भगन' रहा करेगा | समवयस्क चालकों में खेलता परन्तु किसी बच्चे का दिल न दुख जाय यह भावना सदा रहती । सदैव पराजित चालक का पक्ष लेता जब कि दूसरे बालक उस बच्चे की हंसी उड़ाते ।
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विद्यार्थी मगनलाल :
अब कुछ आगे चलिये । मगनलाल ६ वर्ष के हुये । घर पर
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