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घात करता है |
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६ - ७५१. यदि मानी का समागम हुआ है तब अच्छा ही तो है जो वह बेचारा मान कपाय से अपनी बरवादी करके भी तुम्हारे मान कपाय का संस्कार दिखाता हुआ (क्यों कि दूसरे का मान पसंद न होना भी मान कषाय का फल हैं) तुम्हें मान कपाय को दूर करने की शिक्षा देने में निमित्त बन रहा है । ऐसे समागम में भी क्षोभ न करे।, आत्मस्वरूप के चिन्तन द्वारा शान्ति का परम सुख पाओ ।
फ्र १०--७६७, लौकिक कोर्यों की हठ मानकषाय के बिना नहीं होती, मानकपाय के कारण रावण की संक्लेश में मृत्यु हुई, यदि हठ ही करना है तो श्रात्मतच (जिसमें हठ नहीं) पाने की हठ करे । अन्य जगत के कार्यों में रखा ही क्या है ?
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