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घात नहीं कर सकता, इसी प्रकार विषयकपायी के बहुत ज्ञान भी होय तो भी वह दुर्गति का दुःख नष्ट नहीं
कर
सकता |
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६-६५२. किसी के ज्ञान भी अधिक होय, यदि वह विषयकषाय कर मिला होय तो आत्मा का घात ही करता है । जैसे - सुन्दर आहार भी विष मिला होय तो प्राण का East करता है ।
फ्र ॐ फ
१० - ६५३. कायर पुरुष के हाथ में शस्त्र हो तो वही शस्त्र उसी के मरण का कारण बन जाता है, इसी तरह विषय
कषाय वाले के यदि ज्ञान हो तो वह मलीन ज्ञान भो उसी आत्मा के क्लेश का कारण रहा करता है । 卐*卐
११- ६५४. मृतक मनुष्य के हाथ में शस्त्र भी हो तो भी गृद्ध आदि पक्षी उसे चटते ही हैं इसी तरह ज्ञानी भी हो और पियकपाय में लीन हो तो उसकी निन्दा ही होती है,
उसका फिर कोई मुलाहजा करने वाला नहीं रहता । फ ॐ १२-६५५, जिस पक्षी के पंख कट गये वह पक्षी उड़ने की भी