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________________ प्रथम परिच्छेद ॥ (१६) तीन, दो, एक, को छः छः वार रखना चाहिये, इसके पीछेसमयभेजारी तीन को छोड़कर पांच चार तीन दो एक को छ; छ। वार रखना चाहिये इसके पीछे समयभेदकारी द्विकको छोड़ कर पांच, चार, सीन, और एक को छः छः वार रखना चाहिये, इसके पश्चात् समयभेदकारी एक को छोड़ कर पांच,चार, तीन और दो को उतनी ही उतनी बार रखना चाहिये ऐसा करने से चौथी पंक्ति पूरी हो गई, अब तीसरी पंक्ति में परिवर्ताङ्क दो हैं, इसलिये समयभेदकारी (१) पांच और चार को छोड़ कर तीन, दो और एक को दो दो वार रखना चाहिये, इस के पश्चात् पांच, और तीन को छोड़ कर चार, दो और एक, को दो दो वार रखना चाहिये, इसके पश्चात् चार तीन, और एक को रखना चाहिये, इसके पीछे चार तीन और दो को रखना चाहिये, इस के पश्चात् तीन दो और एक को रखना चाहिये, इस के पश्चात् पांच, तीन, और एक को रखना चाहिये, इसके पश्चात् पांच, तीन और दो को रखना चाहिये, इस प्रकार समयभेदकारी अकों को छोड़ कर अन्त्यादि (२) प्रकों को वहां तक दो दो वार रखना चाहिये कि जहां तक तीसरी पंक्ति पूरी हो जावे तथा भादि की दो पंक्तियों में शेष दो अंडों को पूर्वभङ्ग में कम से तथा दूसरे भङ्गमें उत्क्रम से (३) वहां तक रखना चाहिये कि जहां तक दोनों पंक्तियां पूरी हो जावें ॥१२॥१३॥ मूलम-जमि अनिक्वित्तेखल, सोचेवहविज्ज अविनासो। . सो होइ समय भेओ, वज्जे अव्वो पयत्तेण॥१४॥ संस्कृतम्-यस्मिंश्च निक्षिप्त खलु, स चैव भवेदङ्क विन्यासः॥ स भवति समयभेदः, वर्जनीयः प्रयत्नेन ॥१४॥ भाषार्थ-जिस का निक्षेप(४) करनेपर वही अङ्कविन्यास (५) हो जावे वह समय भेद होता है; (६) उते प्रयत्न के साथ छोड़ देना चाहिये ॥१४॥ स्वोपत्ति -समयभेदस्वरूपम्प्राह ॥१४॥ १.समयभेद को करने वाले ॥२ अन्त्य से लेकर पूर्व पूर्व ॥३. क्रम को छोड़ कर ॥ ४-स्थापन ॥ ५ अङ्करचना, अङ्कस्थापना ॥ ६ तात्पर्य यह है कि जिस अङ्क के रखने पर समान (एफसी ) अङ्कस्थापना हो जाये, इसीका नाम समय भेद है ॥ . Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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