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________________ ( १२ ) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध १८७ ३ किया W १२ [११] में २० प्रगट यह १८८ ३ ૨ नमस्कार प्रगट ६६ युक्त ॥ करे । २८८ १४ यात १८६ १३ प्रमाण २४ [५] १६० ६ काण २६१ १८ करे १६२ १६ है, + प्रश २६३ १३ १६५ १८ २४ २८ S २६७ १ 如 १६ २० २७ २६ २०० २२ ३० " 2 a w B 4 प्रदक्षिणा पुराणों पाचों तीसरा ज्येष्ठवृत्त नवकारस ठीक है, क्योकि हशीकेष श्रीमन्त्रराज गुणकल्प महोदधि ॥ शुद्ध दिया में [ ११ ] प्रकढ़ यह बात "मगलाणं ठोक नमस्कार प्रकट ) युक्त । करे ॥ १ ॥ बात भी प्रमाणों [१०] कोण करे ॥ है! प्रदक्षिण पुराण पांचों तीसरा, ज्येष्ठपन, नैवकारः" ठीक है, अथवा पंचणमुक्का रो" ठीक है, क्योंकि हृषीकेश पृष्ठ पृष्ठ, " णमोक्कारा" " णमोक्कारो* " मंगला ठीक पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध २०१ १६ अर्थापन्ति RB २०२ २१ २०२४ " २०३ २५ २०४ ३ २०५ १६ २०६ १४ २०७ २३ " ४ २६ " २७ 2 २५ " २५ २०४६ 23 १० १६ " P 22 " २०६ १७ " ૩ २१ पत्ति जगद्धितकारी जगद्धितकारी वह Aho! Shrutgyanam आरम्भ रूप परिश्रम | अयोग प्रका धारणको सु खपूर्वक [१३] होता है [१३] होता है १२- शास्त्र का १२ - जगत्का उत्तर [६] पाठक सव्वेसि ॥ सह यक्त चारो हद २१ २३ का पाठ सम्पद २४ जिसमें चाहिये शुद्ध रूप [१२] पद सर्वसा पर्यागलात्स्रात पर्यागलस्रोत क्रोधादि को क्रोधादिकों वाचना चाचना, मुख्य, मुख्य विधान्त [५] विश्रान्त [ श्री ] कल्याण क. रने वाले ॥ प्रयोग पदकथनका ( उत्तर ) पाठक [६] सव्वेसि सह युक्त चारों हृद पाठ [५] सम्पद् का भी जिससे चाहिये ) | रूपा भी [ ६ ]
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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