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श्रीयुत जैन बन्धुवर्ग की सेवा में
विज्ञप्ति ।
प्रियवर जैन बन्धुवर्ग!
___मेरे लिये सौभाग्य का विषय है कि-श्री वीतराग भगवान् की सत्कृपा से एक अत्यन्त लोकोपकारी जैनाम्नाय सुप्रसिद्ध बृहग्रन्थ को आप की सेवामै उपस्थित करने की विज्ञप्ति प्रदान करने को यह मुझे शुभावसर प्राप्त हुआ है कि जिसकी प्राप्ति के लिये मैं गत कई वर्षों से यथा शक्ति पूर्ण परिश्रम कर रहा हूं, केवल यही नहीं किन्तु हमारे अनुग्राहकगण भी जिस के लिये चिरकाल से अत्यन्त प्रेरणा कर रहे थे उसी कार्य की सम्पूर्णता का यह विज्ञापन प्रकट करते हुए मुझे इस समय अत्यन्त प्रमोद होता है।
उक्त लोकोपकारी ग्रन्धरत्न "श्रीदेव वाचक सूरीश्वर" निर्मित पञ्चज्ञान प्रतिपादक जैनाम्नाय सुप्रसिद्ध "श्री नन्दीसूत्र' है।
श्री जैनबन्धुओ ! आप से यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उक्त ग्रन्थ रत्न कितना लोकोपकारी है, क्योंकि आप उस के महत्त्व से स्वयं विज्ञ हैं, ऐसे सुप्र. सिद्ध परम माननीय, ग्रन्थरत्न की प्रशंसा करना सूर्य को दीपक से दिखलाने के तुल्य है।
किञ्च-उक्त ग्रन्थ रत्न पर श्री मलयगिरि जी महाराज कृत जो संस्कृत टीका है उसका गौरव वे ही विद्वान् जानते हैं कि जिन्हों ने उस का आद्योपान्त अव. लोकन किया है।
पन्द्रह वर्ष के घोर परिश्रम के द्वारा उक्त ग्रन्थरत्न की सरल संस्कृत टीका तथा भाषा टीका का निर्माण किया गया है।
ग्रन्थ का क्रम इस प्रकार रक्खा गया है कि-प्रथम प्राकृत गाथा वा मूल सूत्र को लिखकर उस की संस्कृतच्छाया लिखी है, तदनन्तर गाथा वा मूलसूत्रका भाषा में अर्थ लिखा गया है, तदनन्तर श्रीमलयगिरि जी महाराजकृत संस्कृत टीका लिखी है. उस के अनन्तर उक्त टीका के भाव को प्रकाशित करने वाली विस्तृत व्याख्या युक्त ( अपनी बनाई हुई )प्रभा नाम्नी संस्कृत टीका लिखी गई है तथा अन्त में दी. पिका नाम्नी भाषा टीका लिखी गई है, इसके अतिरिक्त प्रस्फुट नोटों में प्रसडान सार अनेक विषय निदर्शित किये गये हैं, इस प्रकार इस ग्रन्थ में जो परिश्रम किया गया है उसको आप ग्रन्थ के अवलोकन से ही ज्ञात कर सकेंगे, अतः इस विषय में मेरा स्वयं कुछ लिखना अनावश्यक है, किञ्च अनेक विद्वान्, साधु, मुनिराज, महा. त्माओं ने इस ग्रन्थ का अवलोकनकर अत्यन्त आह लाद प्रकट किया है।
उक्त ग्रन्थ के मुद्रणका कार्य बम्बई के उत्तम टाइप में बढ़िया श्वेत कागज पर (रायल आठ पेजी साइज़ में) पत्राकार रूप में शीघ्र ही प्रारम्भ किया जावेगा तथा यथा शक्य ग्रन्थ को शीघ्र ही तैयार कराने की चेष्टा की जावेगी, कृपया ग्राहकगण
Aho! Shrutgyanam