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अंक २]
मेरुतुंगाचार्यनी स्थविरावली
[१३७
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भाइल्ल
पालक
विक्रमादित्य नन्द
धर्मादित्य मौर्य
१०८ पुष्यमित्र ३०
नाइल बलमित्र
नाहड भानुमिग्र नभोवाहन ४०
१३५ गर्दभिल्ल १३
४७०
कुल संख्या ६०५ शक संवतनी आ वखते-वीरनिर्वाण पछी ६०५ वर्षे भारत (हिंदुस्थान ) मां शरुआत थई हती.
आटली बाबतोनुं धर्णन करीने मेरुतुंग अनेक स्थविरो (थेगे, एटले महान् यतिओ) ना पट्टप्रतिष्ठाकाल (सूरि पदवी उपर प्रतिष्ठापन) नी तारीखो आपे छे. श्रीवीरना निर्वाणथीः
सुधर्मखामीनुं पट्टाधिरोहण ...... २० वर्षसुधी
जंबुस्वामीनु , ...... ४४ " परिशिष्ट पर्वमां एवं लखेलं छे के जंबुए वरिनिर्वाण पछी ६४ वर्ष आयुष्य भोगवी, पोतानी पाटे कात्यायन गोत्रना प्रभवने स्थापित कर्याः अने सर्व कर्मथी निवृत्त थई अक्षय्य स्थानने पाम्या.
प्रभव
११ वर्ष सय्यंभव २३ ,, यशोभद्र ५० , संभृतिविजय ८, भद्रबाहु
१७०
३०,
आ रीते वीरनिर्वाण पछी १७० वर्ष थयां. परिशिष्ट पर्वमा जणावेलुं छे के वीरनिर्वाणथी १७० वर्षों वीत्या पछी भद्रबाहु समाधिपूर्वक स्वर्गे गया.
स्थूलभद्र ४५ वर्ष अर्थात् वीरनिर्वाणथी २१५ वर्ष आर्यमहागिरि आर्यसुहस्ति गुणसुंदर
३३५ वर्ष आ समये ( अणुनिगोद व्याख्याता ) कालिकाचार्य प्रादुर्भूत थया. कालिकाचार्यनां अणुनिगोद उपरनां व्याख्यान सांभळवा इन्द्र आव्यो हतो ते वात फरीथी संक्षेपमा पुनरावृत्त करी छे. कालिकाचार्य प्रज्ञापनोपांग सूत्रना कर्ता छे. मूळमां १४० नो अंक आप्यो छे जे नकल करनारनी प्रकट भूल छे. कारणके आना प्रमाणमां परिशिष्टपर्वनी जे एक गाथा टांकेली छे तेमां १७० होवानुं जणावेलुं छे ते वीर पछीना ११ गणधर सहित पट्टधरोमांना २३ मा पट्टधर हता. सिद्धांतमां ते श्यामार्यना नामे ओळखाय छे.
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