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जैन साहित्य संशोधक
[ खंड २
आ पालक राजा महावीरनो समय नक्की करवामां अने महावीर निर्वाण तथा विक्रम संवत्नो प्रारंभ ए बेनी बच्चेनो समय पूरो करवामां, उपयोगी थाय तेम नथी.
हाल तुरत आपणे आ लोकोमां आपेलो नंदोनो समय (१५५ वर्ष ), मौर्योनो समय ( १०८ वर्ष ) तथा पुष्यमित्रनो समय ( ३० वर्ष ) तपासमा लेता नथी; तेनो विचार आगळ उपर करीशं- हमणां विक्रमसंवत् पहेलां ११७ वर्ष सुधीना, एटले के लगभग इ० स० पूर्वे १९७४५७ सुधीना राजाओ विषे हुं बोलवा मागुं छं. आ राजाओ नीचे प्रमाणेः
ariana अने भानुमित्र, ६० वर्ष राज्य नहवहण ( नभोवाहन ), ४० गर्दभिल्ल
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अने शक ४ वर्ष राज्य
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आ राजाओनी विचित्र यादी विषे कांई पण निश्चित रीते कहेवातुं नथी. नहवहण जेने बदले बुल्हर अने जेकोबी नभोवहन लखे छे तेनुं नाम बीलकुल जाण्यामां नथी; 17 सेने माटे एक ज सूचना थई शके के मौर्य राज्यनी पडतीनो समय अने विक्रमसंवत्ना आरंभनो समय ए बेउनी वचमां पश्चिम हिंदमां ए कोई नानो राजा थयो हशे वळी, जो के बलमित्र अने भानुमित्रनां नाम बीजे स्थळे जोवामां आवे छे तो पण एमने माटे पण उपरोक्त कथन ज कहेतुं योग्य थशे. जेकोबीए प्रसिद्ध करेली, जरा गुंचवाडा भरेली कालकाचार्यनी वार्ताीमां, पा० २६८ उपर आपणे वांची छीए के आ राजाओ जे कालकना भत्रिजा थता हता तेओनुं राज्य भरुकच्छ ( भरुच ) मां हतुं, तथा तेओ जैनधर्म प्रत्ये मित्राचारीथी वर्तता हता. ए वार्तामां कह्याप्रमाणे कालके रोषे भराईने, पोताना शत्रु उज्जयिनीना राजा गर्दभिल्लने मारवाने, शक लोको ने हिंदमां बोलाव्या हता. ते उपरथी आ बे राजा विक्रमना समयथी जरा ज आगळ थया हता एम कही शकाय एक अगर ऋण 18 कालकोनी वातोनो वधारे. गुंचवाडा करवानुं मूकी दईने हुं एटलुंज कहुं हुं के कालक एक ज थयो हतो जे महावीर पछीनो २३ मो 'स्थविर' हतो; तथा कल्पद्रुमनी 19 पूरवणीमां कह्या प्रमाणे निर्वाण पछी ३७६ मा वर्षमां विद्यमान हतो; एटले इ. स. पूर्वे ५२७ थी गणीए तो इ. स. पूर्वे १५१ मुं वर्ष आवे. तपागच्छनी 20 पट्टावर्लामां कहेलुं छे के आ कालक महावीर पछी ३७६ अगर ३८६ वर्षे, एटले के इ. स. पूर्वे १५१ अगर १४१ मां पंचत्वने पाम्यो; अने आ समय उपरोक्त श्लोकोमां बलमित्र अने भानुमित्र विषे निर्णीत करेला समय साथे बराबर मळतो आवे छे; कारण के तेओ बनेए ६० वर्ष सुधी एटले इ. स. पूर्वे १७४-१७३ अने ११४-११३ नी वचमां राज्य करेलुं मानवामां आवे छे. परंतु हुं तो आ वातने, तेम ज उपरोक्त श्लोकोने जरा पण अगत्यता आपी शकतो नथी.
17. जो आ नहवाण नाम कांई पण उपयोगनुं होय अने ते सतप राजा नहपान जे इ. स. ८० – १२५ थयो हतो एम मानवामां आवे छे, ते ज ए होय, तो आ यादी पाछला भागमांथी नकामी नीवडे. पण वस्तुस्थिति आ प्रमाणे नथी एम मानवाने मने कारणो मळे छेः (१) गमे तेवा गुंचवाडा भरेली वंशावळी होय तो पण नहपान ने विक्रम पहेला मूकवा ए असंभव छेः अने ( २ ) जो, ते नहपान ज होय, तो चोक्कस रीते तेनुं नाम कालकाचार्यनी वार्तामां आववुं ज जाईए, के जे वार्तानो विषय विक्रमनी पहेलां हिंदमा सीधीयन सत्तानो उदय ए छे, पण ए प्रमाणे जोवामां आवतुं नथी.
18. सरखावोः जॅकोबी, पा. २५०.
1'. जेणे उत्तराध्ययन सूत्र उपर टीका लखी हती ते लक्ष्मीवल्लभनी बनावेली कल्पसूत्र उपर आ एक टीका छे. 20. क्लाट, इन्डि. एन्टी० पु. ११, पा. २५१.
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