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जैन साहित्य संशोधक
समय विधे जैनग्रंथोमां आपेला अहेवालने पुराणोमांथी आ त्रणे संप्रदायोना कथनोमां जो के केटलोक परटेको मळे छे.१५
स्पर विरोधाभास देखाय छे परन्तु भावार्थ एक ज छे. ___ वास्तविक रीते सीलोनना पाली-लेखोने पुगणनी गण- आ त्रणे आस्तिक-नास्तिक पंथो खरेखरा इतिहासने ना सथे निरोध नथी. ते तेने पूर्ण करे छे अने पुष्टि आपे छे अनुसर्या छे, अने तेनुं रक्षण कर्यु छे. बे हजार वर्ष तथा पोते तेनाथी पूर्ण थाय छे अन पुष्टि मेळवे छे. नंदोना जेटला लांबा समयमां जे कांई मूलो पेसी गई छे ते विषयनो घोटाळो, के जेना परिणामे, सैकाओ सुधी बीजा आवी रीते थोडी मेहनते अने थोडं ध्यान आपे दूर करी घोटाळाओ उद्भव्या हता ते दूर थवाथी जैन कालगणना- शकाय एवी छे. नी खरी किंमत जणाई आवे छे."
१५ डॉ, होर्नलेए जैनकालगणनामानो घणे घटाटो दूर कयों छे. [जओ, इ. अन एंटीक वैग, पु. २०, पृष्ठ १३०]
लेखना सूक्ष्म अवलोकनथी समजाशे के श्रीयुत १६ संप्रति अने सुहस्ती विषे जे तारीख आपेली छे ते भूल जायसवाले जैन दंतकथा अने तनी पुराणी गाथाओनी मरेली छ. बधी प्रतीनो संप्रतिनी तार ख विष एक मत नथा, बौद्ध अने हिंदुपुराण ग्रंथोनी साथे केवी उत्तम रीते सं[इ. ए. पु. ११ पृ. २४६ ] तेओ २०२ A.M.J. अने २३५ ।
बद्ध ठरावी छे, अने आज लगभग बे हजार वर्ष A.MJ.नी वच्चे हता.[तेज ठेकाणे जुआ.] ज्यारे चंद्रगुप्तनी
जेटला टीकाळमधी मारताना इतिहास नामा तारीख ती २.९ थी २४३ A.M.J. नां वर्षे गणी लीधा छे.
सूधी, भारतना इतिहास युगना आदिपुराणोना आधारे करली गणना प्रमाणे २३५ A.M.J. ना ब- भूत उल्लेखोमां, जे परस्पर विरोध अने . असंगतता पुरादतनी खरी तारीख इ. स. पूर्व २२०, ५४५+२२० %3D ] ३२५ तत्वज्ञोने जणाती हती तेनो केवी उत्तम पद्धतिए निकाल
A.M.J छे. [ जुओ, ऐडीकस, C] श्वेतांबर जैनी, सुहस्ता आप्यो छे. अलबत्त श्रीयत जायसवालना विचारोनो के, जे सतना समकालीन इता, मनी विद्यम नतामा वर्ष
सर्वाशे स्वीकार हजी सुधी विद्वानो तरफथी थयो न राके २६५ A.MJ. वर्षने गणेछे. पण श्वेतांबर जैनो पालकना शरूमातना ५० अथवा वारे-खरी रीते ५४-वर्षे जओ. विभाग होय,के तेमां कांई कोई अशे मतभेद होय तो ते स्वाभाविक ३४, ब. ] मुझी दे छे. तेथे सुहस्तीनी खरी त र ख २६५१६०४ छे; परंतु तेमणे भारतना प्राचीन इतिहासना निरीक्षणर्नु =३२९ A.M.J. छे. आनेमन। स्वर्गवासनी तारीख छ. आ प्र
एक जुदूं ज दृष्टिबिन्दु विचारक जगत् आगळ उपस्थित करी, माणे मुहस्ती, संप्रतिना गादीनशीन थया पछी चार वर्षे देवलोकपाभ्या.
इतिहासना गुंचाएला कोकडानुं नवी ज पद्धतिए पृथक्करण चंद्रगुप्त अने सुहस्तीना निर्वाणनी वच्चे श्वेतांबर जैनो १०९ करवानुं एक अत्युत्तम साधन देखाडी आप्यु छे, तेमां अथवा ११० वर्ष मुके छे. [डॉ. जेकोबीनी परिशिष्टपर्वना प्रस्तावना पृ.५] । हकीगत पुराणोक्त कथन साथे मळता आवे छे. काईने संशय नथी. अने जैन काळगणना तथा महावीजिओ एपेडीक्स सी प्रकरण २५-२५] २४ वर्ष चंद्रगुप्त, २५ वर्ष र-निर्वाण समयना विषयना तेमंना विचारो म्हने तो बिंदुनार, ४० वर्ष अशोक, ८ वर्ष कुनाल, ८ दशरथ, ४ संप्रतीना
" घणे अंशे ग्राह्य जणाय छे. तो पण जो कोई विद्वानना राज्यना = एकंदर १०९ सरखावो एपेंडीक्स बी. ३.
हेमचंद्र अने बीजाओना लेखो प्रमाणे जैन राजपरंपरा नीचे मनमां आ संबंधी मतभिन्नता जणाती होय, तो तेणे प्रमाणे छे. A. श्रेणिक [बिंबीसार ].
अवश्य आवी रीते जाहेर ऊहापोह करीने, आपणा श्रमण B. कुणिक [ अजातशत्रु] [अवंतीमां पालक]. __ भगवान श्रीमहावीरदेवना निर्वाण समयनो सदाने C. उदायी.
माटे निर्णय करी नाखवो जोईए. ज्यांसुधी आ D.नंद [नंद. वर्धन ] अने, बीजा नंदो.
रीते, कोई प्रमाणिकपणे श्रीयुत जायसवालना निर्णE. चंद्रगुप्त. F. बिंदुसार, H. [ कुनाल ].
यमां शंका उपस्थित न करी शके अने आ विचाG. अशोकश्री. I. संप्रति.
रमां सप्रमाण मतभेद न जणावी शके त्यां सुधी हवे
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