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महिए
महावीर ।
पढिए
(हिन्दी-गुजराती पाक्षिक पत्र ) .
संपादक-मुनिराज श्रीजिनविजयजी
महाशय,
क्या आप भगवान महावीर के अनुयायी हैं ? क्या आप महावीर के वीर धर्मका मर्म समझना चाहते हैं? क्या आप अपने आपमें वीरत्वकी भावना जागृत करना पसंद करते हैं? क्या आप जैन समाजकी वर्तमान स्थिति के सच्चे हालके जाननेकी उत्कंठा रखते हैं ? और क्या आप जैन समाजमें जो जडता, अकर्मण्यता, विचारहीनता और रूढीकी प्रबलता जमी हुई है उसे उखाड दूर फेंकनेकी मनोभावना रखते हैं ?
अदि इन सब प्रश्नोंका उत्तर 'हां' ऐसा देना है तो, आज ही एक कार्ड लिखकर महावीर' की ग्राहक श्रेणिमें अपना नाम दर्ज करा दीजिए; और चाहें तो नमूनेके लिए महावीरका एक अंक मुफत मंगा देख लीजिए।
यह पत्र मुनि श्रीजिनविजयजी के संपादकत्वमें गत 'महावीर जयंती के दिनसे प्रकाशित होने लगा है । प्रत्येक मासकी प्रति प्रतिपदा ( एकम ) के दिन यह पत्र प्रकाशित होता है। इसमें सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक और विविध विषयके अच्छे अच्छे विद्वानोंके लिखे हुए उत्तम लेख छपते हैं। "जैन धर्म-परिचय" नामक एक संपादकीय लेखमाला शुरू हुई है जिसमें जैन समाज, इतिहास, साहित्य और तत्त्वज्ञानकी सरल
और सुवांध रीतीस प्रामाणिक चर्चा की जाती है। प्रत्येक जैनको-चाह वेतांबर हो चाहे दिगंबर हो-सभी को इसकी यह लेखमाला अवश्य पढते रहना चाहिए ।
पत्रमें गुजराती और हिन्दी दोनों तरह के लेख रहते हैं । वार्षिक मूल्य मनिों डरसे ३ तीन रूपये और वी. पी. से ३। ( सव्वा तीन ) रुपये हैं। पत्रव्यवहार करनेका पत्ता
व्यवस्थापक-'महावीर'
ठि. भारत जैन विद्यालय, पूना सिटी. Publisher--Saha Keshavlal Manekchand, -Jain Sahitya Sanshodhaka Samo
Fergusson College Road, Poona City Printer-Laxman Bhaurao Kokate, Hanuman Press' Sadashir, 300Poonac
Aho! Shrutgyanam