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________________ अंक ३] वी वंशावलि. ५० श्री सीरोही नगरें आचार्य पद हूओ, सा० हरराज खोमकरणई पदोत्सव कीवो । सं. १७७१ वर्षे गठनायक पद श्री साणंद नगरे हुओ। महेता देवचंद महेता मदन तिणे पाट महोब कीधो । सं. १८०६ वर्षे श्री सूराते बंदर स्वर्ग हुओ। अथ आसीर्वाद कही है:जयंतु गुरवो जैनास्तीर्थ क्षेत्र शिष्यसंतति । येषां नाम्नापि जायंते रसना सफला सतां ।। १ । संसारवांछा य तन्य भूयसी जग्राह दीक्षां शिवभतिदां वरां| ज्ञानामृतापूरीत मानसः सन् नित्यं पुनातु प्रतिवासरं गुरुः ।।२।। पट्टावलीयं रचिता सुयत्नैः शृणोति यो मंजुल भावभक्तथा । तस्यालये चिंतित कामसिद्धिः श्री कल्पवल्लीव फलानि जन्यात ॥३॥ इति श्री सुविहित तपागछ पट्टधर नाम्नी श्री वीर वंशावली समाप्तः ।। ।। संवत् १९६२ वर्षे कारतक वदी ७ ।। Aho ! Shrutgyanam
SR No.009878
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages252
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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