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अंक २]
डॉ. हर्मन जेकोबीनी जैन सूत्रोनी प्रस्तावना
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पडया हश; केटलीक नवी हकोकतो उपजा- धर्म बीजा बिरुदोनो प्रयोग वधारे पसंद करे छे. वी काढवी पडी हशे; अने तेम करी तेमणे पोताना उदाहरण तरीके, साधारण रीते ज्यारे बुद्ध, तथा. विरोधिओना जेवाज सर्वने प्रामाणिक लागे तेवाले गत, सुगत अने संबुद्ध आ विशषणो शाक्यमुनिने खो बनाव्या हशे. परंतु आ बधी अयुक्त कल्पनाओ हमेशां लगाडवामां आवेलां होय छे, त्यारे महा. छे. महावीरना संबंधमां तथा तत्कालीन परिस्थिति वीर माटे तेमनो प्रयोग क्वचित् ज थएलो होय अने लोकोना विषयमा उपलब्ध थती जैन तेमज छे. वर्धमाननां विरुदो तरीके वीर अने महावीर बौद्ध परंपराओ, परस्पर जे आटली सुंदररीते म- शब्दनो ज हमेशां प्रयोग करवामां आव्यो छे. आ ळती होई, एक बीजीने सुधारणारी अने पूर्ण कर करतां पण अधिक भेद सूचक एक विशेषण तीर्थनारी देखाय छे, ते बधी बाबतोनो खरो खुलासो कर छे. आ शब्दनो अर्थ जैन ग्रंथोमा 'धर्मप्रति अमे बतावेली उपर्युक्त रीतेज थई शके छे, अने ते क ' एवो थाय छे. परंतु बौद्ध ग्रंथोमां ते शब्द पामात्र एज के ए बन्ने धर्मोनी परंपराओ, मुख्यरीते खंडीमतना संस्थापकना अर्थमां वपरापलो छे. एक बीजाथी स्वतंत्र के अने जे वखते ए परंपराओ- आ प्रमाणे, आ बन्ने संप्रदायोए उक्त विशेषणसं. नु स्वरूप निश्चित थयुं हतुं ते वखते मनातां ऐति- प्रहमांथी अमुक अमुक विशेषणोने जे खास रीते हासिक सत्योज तेमां नोधाएलां छे.
पसंद करीलीधेलां जोवामां आवे छे ते उपस्थी वास्त. हवे आपणे, जैनधर्मना विषयमा लखनारा वि- विकमां आपणने कयुं अनुमान करवानुं कारण मळे द्वानोने, ए धर्म अने बौद्धधर्म वञ्चे जणाई आवेला छ ? शुं आपणे एम मानवं के जैनोए आ शब्दो सारश्योमो विचार करीए के जे सादृश्योए ए विवा- बौद्धो पासेथी लीधा छ ? ९ एम नथी मानी शकनोना, आ बन्ने धोना पारस्परिक संबंध विषयक तो. कारण ए छे के जो आ शब्दो एक वखत अमु. अभिप्राय उपर घणी मोटी असर करी छे. क बिरुदरूपेज नक्की थई चुक्या होय अथवा सनी
प्रो. लेसने,' ए बन्ने धर्मोनी एकरूपताना हेतुमा व्युत्पत्ति उपरथी निकळता अर्थ करतां कोई सास चार मुहाओ रजु करेला छे अने ते द्वारा तेमणे अर्थमां रूढ थई गया होय तो ते शब्दोनो या तो जैनधर्म ए बौद्ध धर्मनी एक शाखा छ एम साबीत तेज रीते स्वीकार थई शके अगर तो अस्वीकार थई करवानो प्रयत्न कर्यो छे. अहीं आपणे ते चारे' शके. परंतु जे शब्द एक वखत अमुक स्मास अर्थ. मुहाओनो अनुक्रमे विचार करीशं.
सूचक बनी गयो होय, तेने, बौद्धो पासेथी लेनारा प्रो. लेसननी पहेली दलील पछे के बन्ने धर्मोना जैनोप, फरी तेना असल अर्थमां वापर्यो हतो एम प्रवर्तकोने जिन, अर्हत, महावीर, सर्वज्ञ, सुगत, मानवं तद्दन अशक्य छे. आ बाबतनो स्वाभाविक तथागत, सिद्ध, बुद्ध, संबुद्ध, परिनिर्वृत, मुक्त खुलासो तो एज थई शके के दरेक कालमा अपुक इत्यादि प्रकारनां एकज सरखां बिरुदो या विशे. मानसूचक विशेषणो तथा नामो प्रचलित होय छे षणो लगाडेलां जोषामां आवे छे. तेथी मूळमां ते अने ते विशिष्ट गुणधारी पुरुषोने लगावामधे बन्ने एकज होवा जोईए इत्यादि.
छे. आवां विशेषणो तथा गुणवाचक नामो ते व ते __ आ बधा शब्दो अल्प या अधिक प्रमाणमा बन्ने पण प्रचलित हतां. आ शब्दोनो बधा संग्रतायो नः धर्मोना ग्रंथोमां जोवामां आवे छे, एमां संशय नथी. मूळ अर्थमां, विशेषणरूपे प्रयोग करता हता. आ परंतु तेमाए खास ध्यान खेंचवा लायक तफावत शब्दामांना केटलाक शब्दोने, तेमा रहेली अर्थ रहेलो छे; अने ते एछे के जिन अने कदाचित् श्रमण शक्ति अनुसार बधा संप्रदायोए पोताना धर्मप्रव. ए ये शब्दो बाद करतांज्यारे एक धर्म अमुक बिरुदो-तको माटे पसंद कर्या हता अने आ पसंदर्गमा नोविशेष उपयोग करेछे त्यारे तेनो प्रतिस्पर्धा(बीजी) तेओ शब्दनी अर्थशक्ति तरफ तो जोताज हता,
१. Indische Alterthumskunde IV. p. परंतु साथे साथे तेओ ए बाबत तरफ पण जोता 763 seg.
हता के कया शब्दने पोताना कया प्रतिस्पर्धी मत
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