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ज्ञानप्रदीपिका।
वृषसिंहालिकंभाश्च तिष्ठन्ति स्थिरराशयः। .. कर्किनक्रतुलामेषाश्चरन्ति चरराशयः ॥३६॥
युग्मकन्याधनुर्मीनराशयो द्विस्वभावतः । वृष, सिंह, वृश्चिक और कुंभ ये स्थिर राशियाँ हैं। कर्क, मकर, तुला और मेष ये चर राशियां है। मिथुन कन्या धनु और मीन ये द्विस्वभाव है।
धनुर्मेषवनं प्रोक्तं कन्यका मिथुनं पुरे ॥३७॥
हरिगिरौ तुलामीनमकराः सलिलेषु च । धनु और मेष इनका स्थान वन है, कन्या और मिथुन का प्राम, सिंह का पर्वत. और तुला मीन और मकर का स्थान जल में है ।
नद्यां कुलीरः कुल्यायां वृषः कुंभः पयोघटे ॥३८॥
वृश्चिकः कूपसलिले राशीनां स्थितिरीरिता । कर्क का स्थान नदी में, वृष का कुल्या (सद जलाशय ) में कुंभ का जल के घड़े में, वृश्चिक का स्थान कुए के पानी में है-यही राशियों की स्थिति है।
वनकेदारकोद्यानकुल्याद्रिवनभूमयः ॥३॥ .... आपगादिसरिद्वापि तटाकाः सरितस्तथा।
धन, क्यारी, बगीचा, कुल्या (क्षद्रजलाशय ) पर्वत, वन, भूमि जलाशय या नदी, तड़ाग ( तालाव ) तथा नदियाँ
जलकुंभश्च कूपश्च नष्टद्रव्यादिसूचकौ ॥४०॥
घटककन्या युग्मतुला ग्रामेऽजालिधनुर्हरिः। जल कुंभ, कूप, ये ऊपर के बताये अनुसार स्थान नष्ट वस्तु के सूचक है। कुम कन्या, मिथुन ओर तुला राशियाँ गाँव में
वने चापि कुलिरोक्षनक्रमीना: जलस्थिताः ॥४॥
विपिने शनिभौमार्कि भृगुचन्द्रौ जले स्थितौ । मेष, वृश्चिक, धनु और सिंह वन में तथा, कर्क वृष, मकर और मीन ये जल में रहते हैं। इसी प्रकार शनि, भौम और सूर्य बन में, शुक्र और चंद्रमा जल में- ....
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