________________
( १५ )
अङकुशं कुंडलं चक्र' यस्य पाणितले भवेत् । विरलं मधुरं स्निग्धं तस्य राज्यं विनिर्दिशेत् ॥ ५६ ॥
जिसकी हथेली में भ'कुश, कुडल या चक्र हों उसको निराले और उत्तम राज्य, का पाने वाला बताना चाहिये ।
इति पुरुषलक्षणं नाम द्वितीयं पर्व ॥२॥
अथ स्त्रीलक्षणम्
प्रणम्य परमानन्दं सर्वज्ञं स्वामिनं जिनम् । सामुद्रिकं प्रवक्ष्यामि स्त्रीणामपि शुभाशुभम् ॥१॥
परम आनन्दमय, सर्वज्ञ, श्री स्वामी जिनेश्वर को प्रणाम करके स्त्रियों के शुभाशुभ के बताने वाले सामुद्रिक शास्त्र को कहता हूँ ।
teri arkari reशीं च विवर्जयेत । किंचित्कुलस्य नारीणां लक्षणं वक्त मर्हसि ||२||
केसी कन्या का वरण करना चाहिये, कैसी का त्याग करना चाहिये, कुलस्त्रियों का कुछ लक्षण आप कह सकते हैं ।
कृषोदरी च विम्बोष्ठी दीर्घकेशी च या भवेत् । दीर्घमायुः समाप्नोति धनधान्यविवर्द्धिनी ॥ ३ ॥
जो स्त्री कृशोदरी ( कमर की पतली ), बिंवफल के समान अघरोंवाली और लंबे लंबे केशों वाली होती है वह धन्यधान्य को बढ़ानेवाली होती है और बहुत दिनों तक जीती
Aho! Shrutgyanam