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________________ ६८ ज्ञानप्रदीपिका । यदि चतुर्थ से लेकर नवम पर्यन्त ६ राशियों में शुभ ग्रह हों तो स्थायी की जय होती है, - बुद्धिमान् ग्रहों के वश से फल कहें । ग्रहदये विशेषोऽस्ति शन्यकींगारका यदि ॥ १४ ॥ आगतस्य जयं ब्रूयात् स्थायिनो भंगमादिशेत् । विशेषता यह है कि प्रश्न लग्न में शनि सूर्य या मंगल हों तो यायो की जय और स्थायी की हार होगी । बुधशुक्रोदये संधिः जयः स्थायी (2) गुरूदये ||१५|| पंचाष्टलाभारिष्वेषु तृतीयेऽर्किः स्थितो यदि । आगतः स्त्रीधनादीनि हृत्वा वस्तूनि गच्छति ॥ १६ ॥ उलो प्रश्न लग्न में यदि बुध और शुक्र हों तो सन्धि हो जाती है पर गुरु हों तो स्थायी की विजय होती है। ९, ८, ११. ६ इनमें या तृतीय में यदि शनि हो तो आगत राजा श्री धन आदि ले कर चला जायगा । द्वितीये दशमे सौरिः यदि सेनासमागमः । यदि शुक्रः स्थितः षष्ठे योग्य संधिर्भविष्यति ॥ १७ ॥ यदि २, या १० में शनि हो तो सेना आयेगी पर यदि पष्ठ में शुक्र हो तो सन्धि हो जायगी । चतुर्थे पंचमे शुक्रो यदि तिष्ठति तत्क्षणात् । स्त्रीधनादीनि वस्तूनि यायी हुत्वा प्रयास्यति || १८ || यदि ४ या ५ वें स्थान में शुक्र हो तो शीघ्र ही यायी ( चढ़ाई करने वाला, ) स्त्री धन आदि को हरण करके चला जायगा । सप्तमे शुकसंयुक्ते स्थायी भवति दुर्लभः । नवाष्टसप्तसहजान्वितान्यत्र कुजो यदि ॥ १६ ॥ स्थायी विजयमाप्नोति परसेनासमागमे । सप्तम में यदि शुक्र हो तो स्थायी मुश्किल से बचता है। यदि ६, ८, ७, ३ इन से अन्यत्र मंगल हो तो शत्रु की सेना का आक्रमण होने पर स्थायी की विजय होगी । Aho! Shrutgyanam
SR No.009876
Book TitleGyan Pradipika tatha Samudrik Shastram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamvyas Pandey
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1934
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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