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________________ पश्चास्पष्ठाधिकारः । ६५ जो जो अंशादि फल मिलैं उसको पृथक् पृथक् लिखता जाय पीछे सब अंक को एक जगह जोड़ देने से जो अंशादिक मिले उसको शास्त्राब्द से ल्याये हुए उस ग्रह के ध्रुवा में युक्त करने से उस दिन के सूर्योदय का मध्यम ग्रह होता है। उदाहरण-श्रीसम्बत् १९६८ शाका १८३३ वैशाखकृष्ण १० गुरुवार के दिन पूर्वोक्त रीति से दिनगण बनाया तो दिनगण : हुआ, सूर्य को स्पष्ट करना है और दिनगण में सिर्फ एकाई के अंकों में से है, इसमें सूर्य की दिनगण सारणी के एकाई में से के मीचे देखा तो अंशादि ६३ । 0 1 0 मिले, इसको शास्त्राब्द से ल्याये हुये सूर्य के ध्रुवा ३ । २३ । ५३ में युक्त किया तो उस दिन का मध्यम सूर्य अंशादि ६६ । २३ । ५३ हुआ ॥ श्रीसंवत् १९६८ शाका १८३३ वैशाख शुक्ल १५ शनिवार के दिन दिनगण १९ है, सूर्य को स्पष्ट करना है, दिनगण में एकाई ९ है दाई दो इससे · सूर्य की दिन गण सारणी में एकाइ में से नव के नीचे देखा तो अंशादि ६३ । ।० मिले, दहाई में दो है इस से वीस के नीचे दहाई के कोष्ठ में देखा तो अंशादि १४० । । ० मिले, इन दोनों को जोड़ दिया तो अंशादि २०३।०1० हुआ, इसको सूर्य के ध्रुवा ३।२३।५३ में युत किया तो मध्यम सूर्य अंशादि २०६ । २३ । ५३ हुआ । श्रीसंवत् १९६८ शाका १८३३ भाद्रपदकृष्ण ५ मङ्गलवार के दिनगण १२३ है, सूर्य स्पष्ट करना है दिनगण में एकाई में से तीन दहाई में से दो सैकड़ा में से एक है, पहिले इकाई में से तीन के नीचे देखा तो अंशादि २१ । । • मिले, दहाई में दो है इससे बीस के नीचे देखा तो अंशादि १४० । ० । • मिले, सैकड़े में एक है इस से एक सौ के नीचे देखा तो अंशादि ७०० । । ० मिले, इस तीनों अंशादिक अंक का एक नत्थी किया तो अंशादि ८६१1010 Aho ! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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