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भास्वत्याम् ।
न भवति तत्र शुक्लप्रतिपत्तिथिर्भवति, शेषोन खाङ्काद् गगनाङ्ग निघ्नात् षष्ठिगुणिताद् भुत्यन्तराप्ता घटिका भवन्ति ॥ १२ ॥
भा० ठी० - स्पष्ट चन्द्रमा में स्पष्ट सूर्य को घटाकर ( सूर्य से यदि चन्द्रमा न्यून होय तो चन्द्रमा में २७०० को युत करके घटावे) उसमें ९० का भाग देने से फल गत तिथि मिलती है, शेष को ६० से गुणि के उसमें चन्द्रमा और सूर्य की भुक्ति के अन्तर (अर्थात् चन्द्रमा की भुक्ति में सूर्य की मुक्ति घटाने से जो शेष बचें ) का भाग देने से वर्तमान तिथे की भुक्त घडी आदि मिलती है, शेष को हर ९० में घटा कर उसको ६० से गुणाकर के उसमें मुक्ति के अन्तर का भाग देने से वर्तमान तिथि की भोग्य घटी आदि होती है ।। १२ ।।
उदाहरण – स्पष्ट चन्द्रण १३६० । ४० | २४ में स्पष्ट सूर्य २०० । ४४ । ४५ को घटाया तो शेष ११६० । ४ । ३० बचे इसमें ९० को भाग दिया तो लब्धगत तिथि १२वीं मिली, भाग शेष ८०| ४ | ३९ को ६० से गुणा कर के सजाती किया तो भाज्य २८८२७९ हुआ चन्द्रमा कि गति ९४ | ० में सूर्य की गति ७ । १६ को घटाया ता ८६ । ४४ बचे इसको सजाती किया तो भाजक १२०४ हुआ इसका भाज्य २८८२७९ में भाग दिया तो फल वर्तमान तिथि का भुक्त घडी ५५ पल २४ मिले | पूर्व भाग शेष ८० । ४ । ३० को हर ९० में हीन किया तो । ५९ । २१ बचे इसको सजाती किया तो ३५१२१ हुए इसमें भाजक १२० ४ का भाग दिया तो फल वर्तमान तिथि की भोग्य घटी ६ पल ५२ मिले वर्तमान तिथि का गत भोग्य का योग ६२ । १६ हुआ। ।। १२ ।।
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