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ग्रहध्रुवाधिकारः। जो अंशादि फल मिलै वह पूर्व के अङ्क में युक्त करने पर (हरका भाग देने से शेष) मध्यम शनि का ध्रुवा अंशादि होता है ॥६॥
उदाहरण-शास्त्राब्द ८१२ को ४० से गुणा किया तो ३२४८० हुए इस में ५९४ युतकियातो ३३०७४ हुए, फिर शास्त्राब्द ८१२ को १० से गुणा तो ८१२० हुए इस में १४ का भाग दिया तो लब्ध अंशादि ५८००० मिले, इस को ३३०७४ में युक्त किया तो ३३६९४०० हुए, इस में १२०० का भाग देने से शेष मध्यम शनि का ध्रुवा मंशादि ५४०० हुआ ॥ ६ ॥
शकाङ्काः।
१८३३१८५७१८८११९०५/१९२९ १९५३)१९७७२००१ शक
८९३
५४ १०३१८०८/५८५ ३६२१३९. १९१६ अंश
| १७ | २५ | ३४ ४२ | ५१ । कला ३४ | ८ | ४२ १६ । ५० | २४ ५८ विकला
२०२५/२०४९२०७३/२०९७२१२१२१४५२१६९२१९३ शाका
९७९/७५६/५३३ ३१६ अंश १७२५ ३४ ४२
८ कला ६ ४० | १४ ४८ २२ । ५६ । ३० | विकला
३२
शेषाङ्काः।
१२२/१६२२०३/२४४२८५/३२५ अंश
८५१३४ १७/ ०/४२/ कला |४३ ३४ २६/१७ ९ । ०५१ विकला।
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