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ग्रहध्रुवाधिकारः ।
| ९ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ शेष ९४२३८०१०१८४.६१०९४५३२११७०६०८ अंश
१० ११ १२ १३ १४ | १५ १६ १७ कला ||६ १३ २०२६ ३३/४० ४६ विकला।
१७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ शष
४६ ६८४१२२७६०१९८८३६ २७४९१२ अंश १८ २० २१ २२ | २३ २४ २५ २६, कला | ५३.०६ | १३ २०२६।३।४० विकला
बुधोच्चभ्रूव विधिःज्ञोच्चं खखाश्विघ्नमथो दशघ्नं तिथीन्दुलब्धाङ्गरसाश्वि हीनम् ।
सं० टी०-अब्दपिण्डं खखाश्विगुणितं द्विस्थं तले दशभिर्गुणितं तस्मात् तिथीन्दुभिर्भक्तं लब्धमुपरि हीनं पुनः, अङ्गरसाश्वि हीनं ( शताहत द्वादशराशिचकैः शेषितं) अंशाचं बुधशीघ्रम् भवति ॥
भा० टी० --शास्त्राब्द को २०० से गुणा करके दो स्थान में स्थापित करै, एक स्थान के अङ्क को १० से गुणा कर ११५ का भाग देने से जो लब्ध मिलै वह दूसरे स्थान में घटाकर फिर उसमें २६६ घटा (बाद १२०० का भाग देने से ) जो शेष बचै वह बुध का शीघ्र ध्रुवा होता है ।
उदाहरण-शास्त्राब्द ८१२ को २०० से गुणा किया तो १६ २४०० हुए इसको दो जगह रक्ख एक जगह १० से गुणा तो
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