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"अब्दे खेशगुणोदेयाः पञ्चचन्द्रेषुलोचनाः । भास्वतीकरणे नित्यं वत्सरं मिहिरोदितम् ” ॥१॥
भा०टी० - शास्त्राब्द को दो स्थान में स्थापित करके एक स्थान में ११० से गुणि उस में क्षेपक २५१५ युक्त करि के ९३ ७५ का भाग देवै लब्ध वर्ष होता है, शेष को १२ से गुणि हर ९३७५ का भाग देने से लब्ध मास होता हैं, शेष को ३० से गुणि उक्त हर का भाग देने से लब्ध दिन होता है, शेष को ६० से गुणि उक्त हर का भाग लेने से घटी पलादि होते हैं। वर्ष में १५ युक्त कर दूसरे जगह रक्खे हुए शास्त्राब्द में युक्त करके ६० का भाग देने से जो शेष वचै वह गुरुमान से मुक्त वर्षादि स्पष्ट होता है ॥ ३ ॥
उदाहरण - शास्त्राब्द ८१२ को दो स्थान में स्थापित किया एक स्थान के अङ्क ८१२ को ११० से गुणा तो ८०३२० हुए इस में क्षपक २५१९ युत किया तो ९१८३५ हुए फिर इस में ९३७५ का भाग दिया तो वर्षादि लब्ध ९/९/१६/२७/११ | मिले, वर्ष ९ में १५ युत किया तो २४।९।१६।२७।५१ हुए, इस को दूसरे जगह रक्खे हुए शास्त्राब्द ८१२ में युत किया तो ८३६।९ १६ । २७/११ | हुए वर्ष ८३६ में ६० का भाग देने से शेष वर्षादि ५६ / ९ | १६ | २७।५१ । हुए ।। ३ ।।
अब्दादि निर्माणाय शकाङ्काः ।
भास्वत्याम्
१८३३ | १८५७१८८९ | १९०५ १९२९ १९५३१९७८२००२ शक
५६
३४ ५८ २२ ४६ वर्ष ३ ६ १० मास
१ १३ २४
दिन घटी
२०
४३
३८
पल
२७
५१
२१
O
२४
४५
४
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१२ ३४ ५८
३१
४
Aho! Shrutgyanam
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