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चन्द्रग्रहणाधिकारः।
१४९ में माग दिया तो लब्ध ४ मिले इसको स्थितिमर्दनार्द्ध २.६ में युत किया तो स्पष्ट स्थित्यर्द्ध २१५४ हुई। इस स्थित्यर्द्ध २।५४ को पर्व काल ४।१६ में हीन किया तो स्पर्श काल १.२२ हुआ, स्थित्यर्द्ध २५४ को पर्व काल ४१६ में युक्त किया तो मोक्षकाल १० हुआ, पर्व काल के समान मध्य काल ४।१६ हुआ । पूर्वानीत पर्वकाल संस्कारित द्विन्न सूर्य २७७०1४८1८ है, इसमें ४१०० को युत किया तो ६८७०१४८८ हुए इस में २७०० का भाग दिया तो फल सौम्य पार का सूचक र मिले, शेष १४७०४८।८ को २७०० में हीन किया तो शेष १२२९।१२५२ बचे, पूर्व शेष से यह दूसरा शेष न्यून है इससे इस में इसके दशमांश १९२।१।१९ को हीन किया तो सौम्य शर १९०६।१६।४१ हुआ, इसमें ८० का भाग दिया तो लब्ध १३।४९ मिले इसका याम्य कृति १९०५४ हुई, और सौम्यनत ५२ इसकी सौम्य कृति ७२१ हुई, दोनों कृति भिन्न भिन्न दिशा की हैं इससे अन्तर किया तो याम्य बलन ९३३३ हुआ ॥ .
इति श्रीज्यौतिषीन्द्र मुकुटमणि श्री६छत्रधर सूरि सूनुना गणक मातृप्रसादेन विरचितायां भास्वत्यां छात्रवोधिनी नाम
टीकायां सूर्यग्रहणाधिकारः सप्तमः ॥ ७ ॥
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