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भास्वत्याम् ।
दिया तो ४६ मिला, तीसरे जगह ३६ का भाग दिया तो फल १९ मिला, एवं काशी का चर खण्डा ५७०४६ । १९ । हुआ ॥१०॥ लङ्कामानं तन्मानात्स्वदेशमानविधिः
वश्वक्ष नन्दनन्दाक्षि त्रिरदं च क्रमोत् क्रमात् ।
चरखण्डोनितं युक्तं
विनाड्यो नाडिकादयः ॥ ११ ॥
सं० टी० - वस्त्रर्क्षनन्दनन्दाक्षित्रिरदं चरखण्डाभिः कमोत् क्रमादुतिं युक्तं च मेषा दीनांविनाड्यो नाडि का दयो भवन्ति ॥ ११ ॥
भा० टी० - लंका में मेष का १७८ वृष का २९९ मिथुन का ३२३ पलमान है इसका विपरीत करने से कर्कका ३२३ सिंह का २९९ कन्या का २७८ मान हुए, इन छःवो को उत्क्रम याने उलटा करने से तुलादि छः राशि का मान होता है। मेष आदि तीन राशि के मान में चर खण्डा हीन करने से मेष आदि तीन राशि का स्वदेश मान होता है और युत करने से कर्क आदि तीन राशि का स्वदेश मान होता है उसके उलटा करने से तुला से मीन राशि तक की स्वदेश मान होता है || ११||
उदाहरण - लंका में मेषादि तीन राशि का मान २७८ । २९९ । ३२३ है, इसमें काशी का चरखण्डा हीन किया तो मेषादि तीन राशि का स्वदेशमान २२१|२१३|३०४ हुए और खंडा युत किया तो कर्कादि तीन राशि का मान २४२२४९ । ३५५ हुए, इसको व्युत क्रम करने से तुलादि का मान ३३९ । ३४५३४२ ३०४।२५३ । २२९ हुए ।। ११ ।।
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