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निशार्द्धं भवति तद्विगुणीतं रात्रिमानं भवति ततस्तयोर्गतैष्यान्तरितं पूर्व परनतं च भवति ॥ ३ ॥
भा० टी० - चर को पलभा से गुणाकर उस में २६५ का भाग देने से जो फल मिलै वह सूर्य सौम्य गोल में होय तो १५ में युक्त और यदि सूर्य याम्यगोल में होय तो ११ में हीन करने से दिनार्द्ध होता है, दिनार्द्ध को दूना करने से दिनमान होता है, दिनार्द्ध को ३० में घटाने से राज्यर्द्ध होता है, और राज्यर्द्ध को दूना करने से रात्रिमान होता है, और दिनार्द्ध राज्यर्द्ध का अन्तर नत हाता है, वह दिनार्द्ध अधिक होय तो सौम्यनत, राज्यर्द्ध अधिक होय तो याम्यनत होता है ||३||
भास्वत्याम् ।
उदाहरण- चर ६८।२३ को पलभा १/४५ से गुणा तो ३९३/१२ हुए इस में २६५ का भाग दिया तो फल १/२९ मिले सूर्य सौम्य गोल में हैं इस से इसको १५ में युत किया तो दिनार्द्ध १६ । २९ हुआ इसको दो से गुणा किया तो दिन मान ३२५८ हुआ दिनार्द्ध १६।२९ को ३० में घटाया तो रात्र्यर्द्धमान १३/३१ हुआ, इसको दूना किया तो रात्रिमान २७।२ हुआ, दिनार्द्ध रात्र्यर्द्ध का अन्तर करने से सौम्यनत २।५८ हुआ || ३ ||
प्रभाविधिः
षड्नं चरार्द्ध दशभाग हीनम् योम्ये तु रामांशयुतं दशाप्तम् । तदति हीनाक्ष वियुक्त युक्तम् भानोरुदग् दक्षिणतः प्रभा स्यात् ॥ ४ ॥
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