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भावस्याम् ।
देने से जो फल मिले उसको दूसरे स्थान में घटाकर फिर उस में ३ का भाग देने से जो फल मिलै वह बुध-शुक्र का मध्यम और मङ्गल-वृहस्पति-शनिथर का शीघ्र होता है ॥३॥
उदाहरण-दिनगण २७ को १० से गुणा तो २७० हुए इसमें १७ घटाया तो २५३ हुए इसको दो स्थान में स्थापित किया, एक स्थान २५३ में ७० का भाग देने से लब्ध ३।३६।५१ मिले इसको दूसरे स्थान २५३ में घटाया तो २४९।२३।९ हुए इसमें ३ का भागदिया तो बुध-शुक्र का मध्यम, मङ्गल-वृहस्पति-शनिका शीघ्र ८३।७।४३ हुआ ॥ ३ ॥
( यहाँ एतना विशेषता है कि एकाद्यंक सारणी का अंक केवल नवही दिन गण तक रहैगा, दशायंक तथा शताधंक सारणी के साथ दिन गण के एकादि अंक के लिये एक होय वहाँ ३।१७।९ युक्त करें
और दो के जगह ३।१७९ का दूना ६।३४।१८ युक्त करै इसी प्रकार से तीन के जगह ३।१७।९ का तिगुना चार के जगह चौगुना इसी प्रकार से आगे भी जानै )। बुधशुक्र मध्यम भौम गुरु शनि शीघ्र दिनगण सारणीयम् ।
एकाद्यङ्कानि ( एकाई )।
दिनगण
স্থা
कला
विकला
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