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॥ श्रीअर्जुनपताका ॥
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जब मंत्रका जाप प्रारंभ करने बैठे पहिले ईस मंत्रको पढकर फिर मंत्र सुरु करें इसमें विधि लिखी हैं वेसे करलेवे आसन बिछाकर हाथमुह धोकर स्नानकर धोती सफेद धारणकरे अस्य मंत्रस्य ब्रह्माऋषी गायत्री छंदः महासिंहो देवता क्षौं बीजं श्रीशक्तिः ह्रीं कीलकं नृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः
क्षा अंगुष्ठाभ्यांनमः क्षी तर्जनीभ्यांनमः शू मध्यमाभ्यांनमः झै अनामिकाभ्यांनमः क्षौं कनिष्टभ्यांनमः
क्षः करतलपृष्टाभ्यांनमः क्षा हृदयाय नमः
क्षी शिरसे स्वाहा। क्षु शिखावौषट्
मैं कवचाय हूं क्षी नेत्राय वौषट
क्षः अस्त्रायफट् ध्यानं रक्त वर्ण महाकायं सहस्त्रादित्यवर्चसम् ।
अष्ट बाहुं शस्त्रधरं सिंहाननं हरिंभजे ॥ लं पृथवीतत्वंगधं समर्थयामिनमः हं आकाशतत्वंपुष्पं यं वायुतत्वंधूपं रं अग्नितत्वंदीपं वं जलतत्वं नैवेद्यं
फिर मंत्र ३२ अक्षरका उग्रवीरका जपना प्रारंभ करदेना चाहिए । मंघ (चंदनलाल ) पुष्प (लालकनेर) धूप (गूगल ) दीप (तिलकातेल) नैवेद्य (गुडगेहु) किसी जगापर मंत्र प्रारंभ करना होवे तव तीन मंत्रपढकर फिर मंत्र पढना दिग् बंधनं ॐ सहस्त्रारे हूँफुट् तीनधार पढकर अपने चारोतर्फ अक्षत या सफेद सरसों छाडके, स्थानशुद्धि ॐ पवित्र वज्रमूर्ति ॐ फट् तीन वार पढके चारोतर्फ जल छांटना, आसन शुद्धि ॐ आसू रेखे वज्ररेखे हूं फट् वामे हातसे पकडकर आसनपर १० वारपडे अनुभुतं.
दादाजी श्री जिनदत्त सूरीश्वर आम्नाय
-बावन तोला पावरती. हेम कल्पहरताल मारण वि. प्रथम हरताल सोधन वि. । हरताल बगदादी पत्र पईसा दो भार आणिजे, कली चुनो असिल सेर ८ आणीजे, कोरा कुंडा माहि चूनो राखिजे, हरताल बासनारा कपडा रा तेरा पुड मांहि बांधी
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