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________________ (2) S () S (जाव) "} () () (जाव २०३६) कोष्ठक में जाव के ० X वृपा० चूपा० संकेत - निर्देशिका ये दोनो विन्दु पाठ-पूर्ति के द्योतक है। पाठ- पूर्ति के प्रारम्भ में भरे बिन्दु (*) और उसके समापन में रिक्त बिन्दु (0) का संकेत किया गया है । असण वा ४ असण वा (४) कोष्ठकवर्ती प्रश्न चिन्ह आदर्शो मे अप्राप्त किन्तु पूर्व पद्धति के अनुसार आवश्यक पाठ के अस्तित्व का सूचक है । देखें, पृष्ठ १७४, सूत्र १४ क- - पूर्व पद्धति के अनुसार आदर्शो मे प्राप्त किन्तु प्रस्तुत प्रकरण मे अनावश्यक पाठ को कोष्ठक मे रखा गया है । देखें, पृष्ठ १७१, सूत्र ५ । ख - संग्रह गाथाएँ भी कोष्टक के अन्तर्गत रखी गई है। देखे, पृष्ठ १५, सूत्र २४ ग --तेरहवे और चौदहवे अध्ययन में भेद करने वाले शब्द कोष्ठक मे रखे गए है । कोष्ठक्रवर्ती संख्यांक पूर्ति - आधार स्थल के अध्ययन और सूत्रांक के सूचक है । देखे, पृष्ठ १६६, सूत्र ५१ आगे जो सूत्रांक है, वे अध्ययन और सूत्रांक के सूचक है । देखे, पृ एक ही सूत्र मे समान पाठ -पद्धति के सूचक जाव शब्दो में से एक की पूर्ति की गई है तथा पुनरागत जाव शब्द के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया गया हे । देखे, पृष्ठ १६७, सूत्र १४४ । ठ स्थान पर पाठान्तर होने का पूर्ति - आधार स्थल के १८४, सूत्र ३७ यह दो या उससे अधिक शब्दो के सूचक है । देखे, पृष्ठ १, सू० २८ । गहरे अक्षर पद्य-भाग के सूचक है । देखे, पृष्ठ ७, सूत्र ३५ पाठ के संलग्न दिया गया एक बिन्दु अपूर्ण पाठ का द्योतक है । क्रास पाठ नही होने का द्योतक है । वृत्ति सम्मत पाठान्तर । चूर्णि सम्मत पाठान्तर । असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा
SR No.009871
Book TitleAayaro Taha Aayar Chula
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1967
Total Pages113
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size3 MB
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