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अध्याय
वर्तनापरिणामक्रियाः परत्वापरत्वे च कालस्य ॥२२॥
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[ वर्तनापरिणामक्रियाः परत्वापरत्वे च ] वर्तना, परिणाम, क्रिया, परत्व और अपरत्व [ कालस्य ] काल द्रव्य के उपकार
हैं।
Assisting substances in their continuity of being (through gradual changes), in their modifications, in their movements and in their priority and nonpriority in time, are the functions of time.
स्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः पुद्गलाः ॥२३॥
[ स्पर्श रस गन्ध वर्णवन्तः ] स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण वाले [ पुद्गलाः ] पुद्गल द्रव्य हैं।
The forms of matter are characterized by touch, taste, smell and colour.
शब्दबन्धसौक्ष्म्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायाऽऽतपोद्योत
वन्तश्च ॥२४॥
उक्त लक्षणवाले पुद्गल [ शब्द बन्ध सौक्ष्म्य स्थौल्य संस्थान भेद तमश्छायाऽऽतपोद्योतवन्तः च ] शब्द, बन्ध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान (आकार), भेद, अन्धकार, छाया, आतप और उद्योतादि वाले होते हैं, अर्थात् ये भी पुद्गल की पर्यायें हैं।
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