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सप्टेंबर २०१२
वर्ष : ११
सन्मति-तीर्थ वार्षिक पत्रिका
२००७
सन्मति-तीर्थ के प्रकाशन १) An Introduction toArdhamagadhi Dr.A.M.Ghatage १९९३ २) जिनधर्म व जैनधर्म
डॉ. शरद शहा
१९९३ ३) मनुष्यत्वाची दुर्लभता
संपादन : डॉ. नलिनी जोशी २००१ ४) ज्ञानपंचमी कथा
२००१ ५) बप्पभट्टिसूरिकहा
२००२ ६) पाइय-परिच्छेय-संगहो
२००२ ७) Shrimad Rajchandra Dr. U.K. Pungaliya २००३ ८) जिणवयणाई
संपादन डॉ. नलिनी जोशी २००३ ९) उत्तराध्ययन-सार
२००४ १०) अट्ठपाहुड-सार
२००४ ११) दशवैकालिक-सार
२००४ १२) प्राकृत साहित्याचा संक्षिप्त इतिहास
२००५ १३) तत्त्वार्थ - पाठ्यक्रम १,२
२००६ १४) आचारांग-पाठ्यक्रम १,२ १५) जैनॉलॉजी प्रवेश (प्रथमा-पंचमी)
२००३-२००७ १६) सूत्रकृतांग-पाठ्यक्रम १,२
२००८-२००९ १७) Collected Research Papers in Prakrit and Jainology
२००८ १८) अनोळखी गोष्टी १,२,३,४,५,६
२००७-२०११ १९) A Brief Survey of Jaina Prakrit & Sanskrit Literature
२००९ २०) जैनॉलॉजी-परिचय (१, २, ३, ४)
२००९-२०१२ २१) स्थानांग-पाठ्यक्रम
२०१० २२) समवायांग-पाठ्यक्रम २३) An Outline of Prakrit Literature २४) जैन तत्त्वज्ञान
२०११ २५) जैनविद्येचे विविध आयाम
२०११ २६) जैन-तत्त्व-प्रकाश-अध्ययन-पाठ्यक्रम (I, II) "
२०११ २७) सन्मति-तीर्थ वार्षिक पत्रिका (कुल ११) " २००२-२०१२
सूत्रकृतांग-चिंतन-विशेषांक
जैनविद्या अध्यापन एवं संशोधन संस्था
सन्मति-तीर्थ प्रकाशन
फिरोदिया होस्टेल ८४४, शिवाजीनगर, बी. एम्.सी.सी.रोड, पुणे ४११ ००४.
फोन नं. : २५६७१०८८
सन्मति-तीर्थ : नवे शैक्षणिक वर्ष
गेली २५ वर्षे जैनविद्येचे अनेकविध आयाम शैक्षणिक कक्षेत आणणारी एकमेव संस्था २५ जूनपासून प्राकृत व जैनॉलॉजीचे विविध वर्ग सुरू झालेले आहेत. प्रौढांसाठी
१) प्राकृत - ५ वर्षे क्रमाने
२) जैनॉलॉजी - ५ वर्षे क्रमाने प्रगत अभ्यासक्रम : १) जैन-तत्त्वप्रकाश
२) तत्त्वार्थसूत्र ३) पातंजल-योग-दर्शन
४) श्रीमद्-भगवद्-गीता आगम अभ्यासवर्ग : १) आचारांग
२) सूत्रकृतांग ३) स्थानांग ४) समवायांग
५) भगवती लहान मुलांसाठी : जैनॉलॉजी प्रथमा ते पंचमी नवीन वस्तुनिष्ठ अभ्यासक्रम : जैनॉलॉजी परिचय १ ते ४
अत्यल्प फी। कुशल शिक्षकवर्ग !! सोयीचे ठिकाण !!! * जैन अध्यासनातर्फे आपल्या भागात ४ व्याख्यानांची माला
आयोजित करण्यासाठी संपर्क : ९४२१००१६१३ * सन्मति च्या क्लाससाठी संपर्क : २५६७१०८८
(सोम. ते शुक्र.१२ ते ४) * आपल्या सोसायटीतील ६ ते १० वयोगटातील जैन बालकांसाठी ___ स्वत: वर्ग चालू करू शकतात. * २०११-२०१२ च्या सन्मति-तीर्थ च्या परीक्षेत सुयश मिळवणाऱ्या ८०० विद्यार्थ्यांचे हार्दिक अभिनंदन !
या, चौकशी करा, सामील व्हा !!
शिक्षकों के लिए सूचनाएँ निम्नलिखित पाठ्यक्रमों की परीक्षा के स्वरूप में शैक्षणिक वर्ष जून २०१२ से परिवर्तन लाया गया है ।
(जनविद्या-प्रगत-पाठ्यक्रम) जैनतत्त्वप्रकाश (I, II) तत्त्वार्थसूत्र (I, II) पातंजल-योग-दर्शन श्रीमद्-भगवद्-गीता (I, II, III)
[आगम-सीरिज ] आचारांग (I, ID सूत्रकृतांग (I, II) स्थानांग समवायांग
भगवती (I, II) वार्षिक परीक्षा पिछले कई सालों से ६० + ४० इस पॅटर्न से ली जा रही थी । जून २०१२ साल से इस पॅटर्न में बदलाव लाया है । उपरोक्त अभ्यासक्रमों पर आधारित जो प्रश्नसंच दिये हैं, उसके जवाब फुलस्केप कापी में विद्यार्थी लिखें । १५-२० गुणों के प्रश्नों के जवाब नहीं लिखने हैं । विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे पूरे सालभर थोडाथोडा प्रश्नसंच लिखकर, फेब्रुवारी के अंतिम सप्ताह तक सन्मति-तीर्थ के कार्यालय में कापियाँ पहुँचाए । उचित जाँच के बाद सिर्फ श्रेणियाँ (Grades) दी जायेगी । जो विद्यार्थी कापियाँ वापस चाहते हैं वे संस्था में आकर अथवा शिक्षिका के मार्फत वापिस ले जा सकते हैं । यह कापी विद्यार्थी के मूल हस्ताक्षर में चाहिए । किसी भी प्रकार झेरॉक्स कापी नहीं चलेगी। कापी में किसी भी तरह की सजावट अपेक्षित नहीं