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मधु मद्यं नवनीतं पिशितं च महाविकृतयस्ताः । वल्भ्यन्ते न व्रतिना तद्वर्णा जन्तवस्तत्र ॥
(71)
अन्वयार्थ (मधु मद्यं नवनीतं ) मधु - शहद, मद्य - मदिरा, नवनीत- मक्खन, अथवा लौनी (च) और (पिशितं ) मांस ( महाविकृतयः ) महान् विकृति वाले पदार्थ हैं, इन पदार्थों के सेवन करने से आत्मा में विकार पैदा होता है, ( ता: ) ये चारों (व्रतिना ) व्रती पुरुषों के द्वारा ( न वल्भ्यन्ते ) सेवन करने योग्य नहीं हैं, ( तत्र ) उनमें ( तद्वर्णाः) उसी वर्ण वाले ( जन्तवः ) जन्तु उत्पन्न होते रहते हैं।
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पुरुषार्थसिद्ध्युपाय
71. Honey, wine, butter, and flesh, these four substances provide media for growth of microbes and are, therefore, not suitable for consumption by a votary. These substances inhabit subtle, unevolved, spontaneously-born living beings (nigoda jivas) of the same genus.
योनिरुदुम्बरयुग्मं प्लक्षन्यग्रोधपिप्पलफलानि । त्रसजीवानां तस्मात्तेषां तद्भक्षणे हिंसा ॥
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(72)
अन्वयार्थ - ( उदुम्बरयुग्मं ) उदुम्बर युग्म ऊमर और कठूमर ( प्लक्षन्यग्रोधपिप्पलफलानि) पाकर, बड़ और पीपल फल (त्रसजीवानां ) त्रस जीवों के ( योनिः ) योनिभूत हैं अर्थात् त्रस जीवों की उत्पत्ति के ये पाँचों फल घर हैं, इनमें अनेक त्रस जीव उत्पन्न होते रहते हैं ( तस्मात् ) इसलिये (तद्भक्षणे ) उनके भक्षण करने में (तेषां ) उन त्रस जीवों की (हिंसा) हिंसा (भवति) होती है।
72. Fruits of the two udumbaras (Gular and Anjeera) and of Pakar, Banyan and Peepal, are birthplaces of microbes. Therefore, eating of these fruits causes himsă of those living beings.
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