SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ' ॥ अनुभवप्रकाश ॥ पान ६५॥ साध्य है। समाधि साधक है, निजशुद्धस्वरूप साध्य है । स्याद्वाद साधक है, है यथार्थ पदार्थकी साधना साध्य है । भली भावना साधक है, विशुद्धज्ञानकला साध्य है। विशुद्धज्ञानकला साधक है, निजपरमात्मा साध्य है । विवेक साधक है, कार्य साध्य है। धर्मध्यान साधक है, शुक्लध्यान साध्य है । शुक्लध्यान हैं साधक है, मोक्ष साक्षात् साध्य है। वीतरागभाव साधक है, कर्मअबंध साध्य है है है। संवर साधक है, निर्जरा साध्य है। निर्जरा साधक है, मोक्ष साध्य है। है चिदिकारभाव साधक है, शुद्धोपयोग साध्य है। द्रव्यश्रुत सम्यगवगाहन साधक है, है है भावश्रुत साध्य है। भावश्रुत साधक है, केवलज्ञान साध्य है। चेतनमै चित्त लीन हैं करना साधक है, अनुभव साध्य है । अनुभव साधक है, मोक्ष साध्य है। नयभङ्गी, हैं साधक है, प्रमाणभङ्गी साध्य है । प्रमाणभङ्गी साधक है, वस्तुसिद्धि करना साध्य है। है हैं शास्त्र सम्यक् अवगाहन साधक है, श्रद्धागुणज्ञता साध्य है। श्रद्धागुण साधक है, है
SR No.009865
Book TitleAnubhav Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhmichand Venichand
PublisherLakhmichand Venichand
Publication Year
Total Pages122
LanguageMarathi
ClassificationBook_Other, Spiritual, Religion, & Sermon
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy