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मानते हैं ? वस्तुतः जीवन मूर्त और अमूर्त का सम्मिश्रण है। किन्तु हम यह जानते हैं कि जीवन का मूल अमूर्त में है और उसकी शाखाएँ मूर्त में हैं। किन्तु यह मूर्त शाखाएँ इतनी विस्तृत हैं कि उनमें जीवन का अमूर्त मूल दिखाई नहीं पड़ता। मूल तो वस्तुतः प्रत्येक पदार्थ का ही अज्ञात रहा करता है।
और उस अमूर्त मल तत्त्व की खोज ही एक तरह से सब दर्शनों का परम लक्ष्य है।