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६. कोटि कोटि बीते बसन्त है ऋषभनाथ गुणगाते
गिरि सम्मेद चम्पा पावा गिरनारी दर्शन करते किन्तु नहीं सामर्थ्य हमारी अष्टापद पर जायें नाभितनय श्री ऋषभनाथ के चरणों की रज पायें ॥ हे
७. बड़े पुण्य से अमरीका में जैन संघ के भाग्य जगे
सिद्ध क्षेत्र अष्टापद के निर्मित करने के भाव जगे मनभावन न्यूयार्क शहर में जिन मंदिर शोभा का धाम तीर्थंकर चौबीसों सोहें अष्टापद को करें प्रणाम ॥ हे
अखिल विश्व में एसा अनुपम मंगलकारी अति अभिराम समता शांति परमपद दायक क्षेत्र यही है सुख का धाम हे श्रावक गण यहा पधारो सिद्ध क्षेत्र चौबीस जहाँ दर्शन करलो पातक हरलो अष्टापद का तीर्थ यहाँ । हे
अष्टापद से निर्झर बहता रत्नत्रय जयकारा है परम अहिंसा अपरिग्रह अरू अनेकान्त की धारा है धर्मबंधुओ मन वचन तन से काटो कर्म, करो वंदन जैन सेन्टर ऑफ अमेरिका का हम करते हैं अभिनन्दन ॥ हे
- डो. पं. खेमचंद जैन
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