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वहाँ नया मार्ग दशांकर, मानो किसी गुफासे आता हुआ, गहरा नाद उससे कहता है :
एषः तव पन्थाः ।
सन्त-विनोद मानो प्रकाशका जुलूस-'प्रोसेशन ऑफ़ लाइट' है । इसमें एकके बाद एक ज्योतिर्धर आत्मिक शुद्धता और पवित्रताके मादा और सरल जीवनकी सौन्दर्य-ज्योति हाथमे लिये नज़ रसे गुजर कर हृदयमे प्रवेश करते जाते हैं। ___ आकाशसे पृथ्वीपर खेलने आये हुए कौन हैं ये ज्योतिर्धर सितारे ? ज़रा इनका दर्शन कर लें। अरे, यह तो कालातीत एकको समग्रमे विस्तारनेवाले और समग्रको एकमें समाहित कर लेनेवाले सर्वयुगीन महात्माओंकी क़तार है !-वशिष्ट-विश्वामित्र, व्यास-शुकदेव, कृष्ण-अर्जुन, जनक एवं भीष्मके साथ बुद्ध, महावीर, शंकराचार्य, श्रीमद्राजचन्द्र, गांधीजी, विनोबा, रवीन्द्रनाथ टागोर, खलील जिब्रान, रामकृष्ण परमहंस और रमण महर्षि कृपा बरसा रहे है; सन्त ज्ञानेश्वर, नानक, एकनाथ, नामदेव और तुकारामके साथ सन्त वायजीद, हुसेन, ग़ज़्ज़ाली, मंसूर, हज़रत गौसुल, हाजी महम्मद और सादिक़ भी शीतल चाँदनी फैला रहे है । आइन्स्टाइन, रामतीर्थ, विनोदी बर्नार्ड शॉ, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, दयानन्द, रामशास्त्री
और रानडे भी इस सन्त-समूहमें गुरु गोविन्द सिह, उड़िया बाबा और रविशंकर महाराजके साथ स्मिति प्रसारित कर रहे है। इनके अलावा तत्त्वज्ञानके अन्य फ़व्वारे-सुकरात, डायोजिनीज़, कन्फ़्यूशियस और लाओत्से भी क्या इस क़तारमें नहीं हैं ? इन सबके दर्मियान प्रेमदीवानी मीरा और प्रणयमस्त रबिया प्रेमको एक सर्वाग-सुन्दर संगीत-लहरी बनकर बह रही हैं। अरे, इस सन्त-मालामें तो दूर-दूरके सौदागर, बड़े-बड़े खलीफ़ा, भोज, जेम्स और हारूं रशीद-जैसे बादशाहोंके साथ माइकेल ऐंजेलो-जैसे कलाकार भी शोभायमान हैं; जीवन्मुक्तोंके साथ भक्त और भटकते