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दे रहे थे और कह रहे थे कि सूरज निकलते ही मैं दीक्षा ले लूगा। जम्बुकुमारके सदुपदेश और भरी जवानीमें अपार दौलत और बेहद खूबसूरत आठ युवतियोंके त्यागनेकी बातने खिड़कीपर बैठे हुए डाकूके दिलकी आँखें खोल दी। ____ जब सुबह हुई और जम्बुकुमार घर-बार छोड़कर वनकी ओर चले, तब विद्युच्चर भी उनके पीछे-पीछे हो लिया । जम्बुकुमार मुनि हुए।
और अपने पाँच सौ साथियों समेत विद्युच्चर भी अपने दुष्कर्मोका प्रायश्चित्त करनेके लिए उनकी शरणमें जाकर साधु बन गया।
सन्त सादिक अरब देशमें सादिक़ नामके एक बहुत बड़े साधु थे। सब उनको आदर और प्रेमकी नज़रसे देखते थे। उस मुल्कका राजा मंसूर उनकी अक्ल और इज़्ज़त देखकर मन-ही-मन जला करता था। उसने अपने मन्त्रीको हुक्म दिया-'जाओ, सादिक़ को पकड़कर लाओ। मुझे आज उसका खून करना हैं।' ऐसा हुक्म सुनकर वज़ीर दंग रह गया। उसने मंसूरसे कहा-'जो आदमी बिलकुल एकान्तमें रहता है। सारा वक़्त तप करने में गुजारता है, जो दुनियाकी कोई चीज़ नहीं चाहता, उसके लिए ऐसा हुक्म ?'
राजा बोला-'नहीं, उसे फ़ौरन लाकर हाज़िर करो।' मन्त्रीने बहुत समझाया मगर राजा न माना। आखिर मजबूर होकर वह उसे बुलाने गया।
राजाने अपने नौकरसे कह रखा था कि सादिक़के आ जाने पर जब मैं अपने सरसे ताज उतारू तब तुम उसे क़त्ल कर देना ।
जब सादिक़ मंसूरके पास पहुंचे तब वह विनीत भावसे उनका स्वागत करने सामने आया। बड़े आदरसे उन्हें तख्त पर बिठाया और
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सन्त-विनोद