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एक दिन सन्त बोले -- ' भाई, अब तू अपने घर जा ।'
'नहीं, मुझे यहीं रहने दीजिए', आदमीने जवाब दिया ।
सन्त कहने लगे-- 'भले रह, पर एक शर्त पर कि जब मैं कुछ बुरा काम करूं तू मुझे गाली दिया करना ।'
सुनकर आदमीकी आँखों में आँसू आ गये ।
शम्स तबरेज
हिन्दुस्तान में शम्स तबरेज़ नामक एक महान् साधु था । दिव्य स्वरूपके अलावा किसी और हस्तीका कायल नहीं था था और प्रभु रूप से विचरता था ।
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वह ईश्वर के
वह प्रभुमय
एक रोज़ किसीने एक मरा हुआ लड़का उसके सामने लाकर रख दिया और उसे जिन्दा कर देनेकी प्रार्थना की।
शम्स तबरेज़ बोले--'कुम बिस्मिल्लाह ।' ( उठ खुदा के नामसे ) | पर लड़का ज़िन्दा न हुआ । उन्होंने फिर दुहराया -- 'कुम बिस्मि ल्लाह ।' लेकिन लड़केमें जान न लौटी। उन्होंने फिर कहा - 'उठ खुदाके नामसे ।' मगर वह नहीं उठा । तब शम्स तबरेज बोले- 'कुम बिजिनी' (उठ मेरे हुक्म से ) ।
लड़का जीकर उठ खड़ा हुआ !
सन्त-विनोद
चाँदी
एक दिन एक कंजूस दौलतमन्द किसी ज्ञानीके पास आया । ज्ञानी
उसे एक शीशे की खिड़कीके पास ले गया ।
ज्ञानी - 'इसमें से देखकर बताओ क्या नज़र आता है ।'
कंजूस - ' लोग ।'
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