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ज्योतिषप्रश्न फलगणना
जो शकुनाक्षर मं-कार हो तो महाहानि, बधन, महादुःख, क्लेश, भय,
निःसन्देह हो ।। १५ ।। प्रश्न में बः - अक्षर
हो तो कार्य की सिद्धि - प्रतिष्ठा-पुत्र का लाभ - महासुख निःसन्देह प्राप्त हो ।। १६ ।।
क - कार में राजकृत सन्मान व अर्थ की सिद्धि-प्रिय का समागम और कल्याण निश्चय करके हो ।। १७ ।।
ख - काराक्षर में शोकः सन्ताप और द्रव्य का नाश शरीर में ज्वरजनित व्याधि निःसंदेह हो ॥ १८ ॥
ग - काराक्षर में जो कार्य विचारे उसकी सिद्धि हो- सौभाग्य की प्राप्तिमित्रों के साथ समागभ होगा ।। १९ ।।
घ-कारे कार्यसिद्धि च लभते प्रियदर्शनम् ।
सौभाग्यं च भवेत्सम्यक् कल्याणं च प्रजायते ॥ २० ॥ ङ -कारे कार्यनाशश्च सिद्धिर्भवति निष्फला । अर्थनाशो विपत्तिश्च निष्फलं कार्यमेव च ॥ २१ ॥ WWW-कारे विजयः कार्ये राजसन्मानमेव च ।
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लाभं चैव सदार्थस्य जाय नात्र संशयः ।। २२ ।। छ-कारे सर्वकार्याणि रत्नानि विविधानि च । आरोग्यं क्षेममानन्दं सौभाग्यमतुलं भवेत् ॥ २३ ॥ ज-कारे द्रव्यहानिः स्यात्कार्यं चैव विनश्यति । मित्रः सह विरोषश्च कलहं लभते नरः ॥ २४ ॥ झ-कारे स्वर्थलाभश्च रत्नानि विविधानि च ।
सौभाग्यमथं प्राप्तिश्च कार्यं च सफलं भवेत् ॥ २५ ॥ घ - काराक्षर मे सर्व कार्य की सिद्धि, प्रिय,
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समागम का लाभ भली-भाँति
सौभाग्य और कल्याण हो ।। २० ।।
ङ - कार में कार्य का नाश, सिद्धि की निष्फलता, अर्थ का नाश - विपत्तिसर्वकर्म निष्फल हो ॥ २१ ॥
च - काराक्षर में सर्व कार्य के विषय में विजय हो -राजकृत सन्मान, सदा द्रव्य का लाभ निःसंदेह प्राप्त हो ।। २२ ।
छ - काराक्षर हो तो सर्व कार्य हो, अनेक तरह के रत्न मिलें - शरीर में आरोग्यता रहे, कुशल, आनन्द और सौभाग्य का अतुल लाभ हो ॥ २३ ॥
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