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अनुयोगद्वार-२९२
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और उत्कृष्ट सत्रह सागरोपम, सहस्रारकल्प के देवों की जघन्य स्थिति सत्रह और उत्कृष्ट अठारह सागरोपम, आनतकल्पम में जघन्य स्थिति अठारह और उत्कृष्ट उन्नीस सागरोपम, प्राणतकल्प में जघन्य स्थिति उन्नीस और उत्कृष्ट बीस सागरोपम, आरणकल्प के देवों की जघन्य स्थिति बीस और उत्कृष्ट इक्कीस सागरोपम की तथा अच्युतकल्प के देवों की जघन्य स्थिति इक्कीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की है ।
अधस्तन-अधस्तन ग्रैवेयक विमान में देवों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जघन्य स्थिति बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेईस सागरोपम की है । अधस्तनमध्यम ग्रैवेयक विमान के देवों की स्थिति जघन्य तेईस और उत्कृष्ट चौबीस सागरोपम, अधस्तन-उपरिम ग्रैवेयक के देवों की जघन्य स्थिति चौबीस की और .उत्कृष्ट पच्चीस सागरोप, मध्यम-अधस्तन ग्रैवेयक के देवों की जघन्य स्थिति पच्चीस की और उत्कृष्ट छब्बीस सागरोपम की, मध्यममध्यम ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति छब्बीस की, उत्कृष्ट सत्ताईस सागरोपम की, मध्यमउपरिम ग्रैवेयक विमानों में देवों की जघन्य स्थिति सत्ताईस की और उत्कृष्ट अट्ठाईस सागरोपम की, उपरिम-अधस्तन ग्रैवेयक विमानों के देवों की जघन्य स्थिति अट्ठाईस की और उत्कृष्ट उनतीस सागरोपम, उपरिम-मध्यम ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति उनतीस की और उत्कृष्ट तीस सागरोपम तथा-उपरिम-उपरिम ग्रैवेयक विमानों के देवों की जघन्य स्थिति तीस सागरोपम की और उत्कृष्ट स्थिति इकतीस सागरोपम की है ।
विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित विमानों के देवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य इकतीस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम है । सर्वार्थसिद्ध महाविमान के देवों की स्थिति अजघन्य-अनुत्कृष्ट तेतीस सागरोपम है ।
[२९३] भगवन् ! क्षेत्रपल्योपम क्या है ? गौतम ! दो प्रकार का है-सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम और व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम । उनमें से सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम स्थापनीय है । व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम का स्वरूप इस प्रकार जैसे कोई एक योजन आयाम-विष्कम्भ और एक योजन ऊंचा तथा कुछ अधिक तिगुनी परिधि वाला धान्य मापने के पल्य के समान पल्य हो । उस पल्य को दो, तीन यावत् सात दिन के उगे बालानों को कोटियों से इस प्रकार से भरा जाए कि उन बालानों को अग्नि जला न सके, वायु उड़ा न सके आदि यावत् उनमें दुर्गन्ध भी पैदा न हो । तत्पश्चात् उस पल्य के जो आकाशप्रदेश वालाग्रों से व्याप्त हैं, उन प्रदेशों में से समय-समय एक-एक आकाशप्रदेश का अपहरण किया जाए तो जितने काल में वह पल्य खाली यावत् विशुद्ध हो जाए, वह एक व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम है ।
[२९४] इस (व्यावहारिक क्षेत्र-) पल्योपम की दस गुणित कोटाकोटि का एक व्यावहारिक क्षेत्रसागरोपम का परिमाण होता है । अर्थात् दस कोटाकोटि व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपमों का एक व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपमों का एक व्यावहारिक क्षेत्र सागरोपम होता है ।
[२९५] भगवन् ! इन व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम और सागरोपम से कौनसा प्रयोजन सिद्ध होता है ? गौतम ! इन से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता । मात्र इनके स्वरूप की प्ररूपणा ही की गई है ।
भगवन् ! सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम क्या है ? वह इस प्रकार जानना-जैसे धान्य के पल्य के समान एक पल्य हो जो एक योजन लम्बा-चौड़ा, एक योजन ऊंचा और कुछ अधिक