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________________ अनुयोगद्वार - २८९ २१७ चरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून ५३००० वर्ष है । तथा गर्भजउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट कोटि पूर्व वर्ष की है । अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकउरपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है । पर्याप्तक गर्भजउरपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून पूर्वकोटि वर्ष की है । भुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है । संमूर्च्छिमभुजपरिसर्पस्थलचर० जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट ४२०००० वर्ष है । अपर्याप्तक संमूर्च्छिमभुजपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त की जानना । पर्याप्तक संमूर्च्छिमभुजपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ४२००० वर्ष की है । गर्भव्युत्क्रान्तिकभुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियितिर्यंचयोनिक जीवों की औधिक जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है । अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकभुजपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है । पर्याप्तक गर्भजभुपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून करोड़ पूर्व वर्ष प्रमाण है । खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! सामान्य से खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण होती है । संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक की औधिक स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट ७२००० वर्ष की है । अपर्याप्तक संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट से भी अन्तमुहूर्त है । पर्याप्तक संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून ७२००० वर्ष की जानना । सामान्य रूप में गर्भव्युत्क्रान्तिकखेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण है । अपर्याप्तक गर्भज खेचर० जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है । पर्याप्तक गर्भजखेचर० जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण होती है । पूर्वोक्त कथन की संग्रहणी गाथायें इस प्रकार हैं [२९०-२९१] संमूर्च्छिम तिर्यंचपंचेन्द्रिय जीवों में अनुक्रम से जलचरों की उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि वर्ष, स्थलचरचतुष्पद संमुर्च्छिमों की ८४००० वर्ष, उरपरिसर्पों की ५३००० वर्ष, भुजपरिसर्पों की ४२००० वर्ष और पक्षी की ७२००० वर्ष की है । गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यंचों में अनुक्रम से जलचरों की उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि वर्ष, स्थलचरों की तीन पल्योपम, उरपरिसर्पों और भुजपरिसर्पों की पूर्वकोटि वर्ष और खेचरों की पल्योपम के असंख्यातवें भाग की है । [२९२] मनुष्यों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है । संमूर्च्छिम मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है । गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम । अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त ही जानना | पर्याप्तक
SR No.009790
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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