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उत्तराध्ययन-३६/१६७०
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व्यन्तर देव हैं ।
[१६७१] चन्द्र, सूर्य, नक्षत्र, ग्रह और तारा-ये पाँच ज्योतिष्क देव हैं । ये दिशाविचारी हैं।
[१६७२] वैमानिक देवों के दो भेद हैं-कल्प से सहित और कल्पातीत ।
[१६७३-१६७४] कल्पोपग देव के बारह प्रकार हैं-सौधर्म, ईशानक, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत आरण और अच्युत ।
[१६७५-१६७९] कल्पातीत देवों के दो भेद हैं-अवेयक और अनुत्तर । ग्रैवेयक नौ प्रकार के हैं-अधस्तन-अधस्तन, अधस्तन-मध्यम, अधस्तन-उपरितन, मध्यम-अधस्तनमध्यम-मध्यम, मध्यम-उपरितन, उपरितन-अधस्तन, उपरितन-मध्यम और उपरितन-उपरितनये नौ ग्रैवेयक हैं । विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थसिद्धक ये पाँच अनुत्तर देव हैं । इस प्रकार वैमानिक देव अनेक प्रकार के हैं ।
[१६८०-१६८१] वे सभी लोक के एक भाग में व्याप्त हैं । इस निरूपण के बाद चार प्रकार से उनके काल-विभाग का कथन करूँगा । वे प्रवाह की अपेक्षा से अनादिअनन्त हैं । स्थिति की अपेक्षा से सादिसान्त हैं ।।
[१६८२-१६८४] भवनवासी देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति किंचित् अधिक एक सागरोपम की और जघन्य दस हजार वर्ष की है । व्यन्तर देवों की उत्कृष्ट आयु-स्थिति एक पल्योपम की और जघन्य दस हजार वर्ष की है । ज्योतिष्क देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की और जघन्य पल्योपमक का आठवाँ भाग है ।
[१६८५-१६९६] सौधर्म देवों की उत्कृष्ट आयु-स्थिति दो सागरोपम और जघन्य एक पल्योपम । ईशान देवों की उत्कृष्ट किंचित् अधिक सागरोपम और जघन्य किंचित् अधिक एक पल्योपम । सनत्कुमार की उत्कृष्ट सात सागरोपम और जघन्य दो सागरोपम । माहेन्द्रकुमार की उत्कृष्ट किंचित् अधिक सात सागरोपम, और जघन्य किंचित् अधिक दो सागरोपम । ब्रह्मलोक देवों की उत्कृष्ट दस सागरोपम और जघन्य सात सागरोपम । लान्तक देवों की उत्कृष्ट चौदह सागरोपम, जघन्य दस सागरोपम । महाशुक्र देवों की उत्कृष्ट सतरह सागरोपम और जघन्य चौदह सागरोपम । सहस्रार देवों की उत्कृष्ट अठारह सागरोपम, जघन्य सतरह सागरोपम । आनत देवों की उत्कृष्ट उन्नीस सागरोपम, जघन्य अठारह सागरोपम । प्राणत देवों की उत्कृष्ट बीस सागरोपम और जघन्य उन्नीस सागरोपम । आरण देवों की उत्कृष्ट इक्कीस सागरोपम, जघन्य बीस सागरोपम और अच्युत देवों की आयु-स्थिति उत्कृष्ट बाईस सागरोपम, जघन्य इक्कीस सागरोपम है ।
[१६९७-१७१५] प्रथम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति तेईस जघन्य बाईस सागरोपम । द्वितीय ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट चौबीस जघन्य तेईस सागरोपम । तृतीय ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट पच्चीस, जघन्य चौबीस सागरोपम । चतुर्थ ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट छब्बीस, जघन्य पच्चीस सागरोपम । पंचम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट सत्ताईस, जघन्य छब्बीस सागरोपम। पष्ठ ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट अट्ठाईस सागरोपम और जघन्य सत्ताईस सागरोपम । सप्तम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट उनतीस और जघन्य अट्ठाईस सागरोपम है । अष्टम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट तीस और जघन्य उनतीस सागरोपम है । और नवम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति 12 10