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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
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विस्तृत वस्त्र रत्नमय हार और अलंकार होते है ।
[२५३] सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प में पृथ्वी की चौड़ाई २६०० योजन है । वो पृथ्वी रत्न से चित्रित है ।
[२५४-२५५] वहाँ हरे, पीले, लाल, श्वेत और काले ऐसे ६०० ऊँचे प्रासाद शोभायमान है । सेंकड़ों मणी जड़ित, कईं तरह के आसन - शय्या, सुशोभित विस्तृतवस्त्र, रत्नमय हार और अलंकार होते है ।
[२५६-२५७] ब्रह्म और लांतक कल्प में पृथ्वी की चौड़ाई २४०० योजन है जो पृथ्वी रत्न से चित्रित होती है । सुन्दर मणी और वेदिका, वैडुर्य मणि की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त कईं तरह के प्रासाद इस विमान में होते है ।
[२५८] वहाँ लाल, पीले और श्वेत वर्णवाले ७०० ऊँचे प्रासाद शोभायमान है । [२५९-२६०] शुक्र और सहस्त्रार कल्प में पृथ्वी की चौड़ाई २४०० योजन होती है वो पृथ्वी रत्न से चित्रित होती है । सुन्दर मणी और वेदिका, वैडुर्य मणि की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त ऐसे कई तरह के प्रासाद होते है ।
[२६१] पीले और श्वेत वर्णवाले ५०० ऊँचे प्रासाद शोभायमान है ।
[२६२] वहाँ सेंकड़ो मणि जड़ित कई तरह के आसन, शय्या, सुशोभित विस्तृत वस्त्र, रत्नमय माला और अलंकार होते है ।
[२६३-२६५] आणत प्राणत कल्प में पृथ्वी की मोटाई २३०० योजन होती है । पृथ्वी रत्न से चित्रित होती है । सुन्दर मणि की वेदिका, वैडुर्य मणी की स्तुपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त कईं तरह के वहाँ प्रासाद है । और शंख और हिम जैसे श्वेत वर्णवाले ९०० ऊँचे प्रासाद से शोभायमान है ।
[२६६ ] ग्रैवेयक विमानो में पृथ्वी की मोटाई २२०० योजन होती है ।
[२६७ ] उस विमान में सुन्दर मणिमय वेदिका, वैडूर्य मणि की स्तुपिका और रत्नमय अलंकार होते है ।
[२६८] वहाँ शंख और हीम जैसे श्वेत वर्णवाले १००० उंचे प्रासाद शोभायमान है।
[२६९-२७२] पाँच अनुत्तर विमान में २१०० योजन पृथ्वी की चौड़ाई होती हो वो पृथ्वी रत्न से चित्रित है । सुन्दर मणी की वेदिका, वैडुर्य मणि की स्तूपिका, रत्नमय हार और अलंकार युक्त कईं तरह के प्रासाद वहाँ है । और शंख और हिम जैसे श्वेत वर्णवाले ११०० ऊँचे प्राद शोभायमान है । सेंकड़ों मणि जड़ित कईं तरह के आसन, शय्या, सुशोभित विस्तृत वस्त्र, रत्नमय हार और अलंकार होते है ।
[२७३-२७४] सर्वार्थसिद्ध विमान के सबसे ऊँचे स्तूप के अन्त में बारह योजन पर ईषत् प्राग्भारा पृथ्वी होती है । उसे निर्मल जलकण हिम, गाय का दूध, समुद्र के झाग जैसे उज्ज्वल वर्णवाली और उल्टे किए गए छत्र के आकार से स्थिर कहा है ।
[२७५-२७६] वो ४५ लाख योजन लम्बी-चौड़ी और उससे तीन गुने से कुछ ज्यादा परिधि होती है वैसा जानना । यह परिधि १४२३०२४९ है ।
[२७७-२७८] वो पृथ्वी बीच में ८ योजन चौड़ी और कम होते होते मक्खी के पंख की तरह पतली होती जाती है । शंख, श्वेत रत्न और अर्जुन सुवर्ण समान वर्णवाली उल्टे छत्र