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________________ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-४/१७३ ८९ कच्छविजय समान है । उन विजयों के जो जो नाम हैं, उन्हीं नामों के चक्रवर्ती राजा वहाँ होते हैं । विजयों में जो सोलह वक्षस्कार पर्वत हैं, प्रत्येक वक्षस्कार पर्वत के चार चार कूटहैं । उनमें बारह नदियां हैं, वे दोनों ओर दो पद्मववेदिकाओं तथा दो वन खण्डों द्वारा परिवेष्टित हैं । [१७४] भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में शीतामुखवन कहाँ है ? गौतम ! शीता महानदी के उत्तर- दिग्वर्ती शीतामुखवन के समान ही दक्षिण दिग्वर्ती शीतामुखवन समझ लेना । इतना अन्तर है - दक्षिण - दिग्वर्ती शीतामुखवन निषेध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, शीता महानदी के दक्षिण में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में, वत्स विजय के पूर्व में है । वह उत्तरदक्षिण लम्बा है और सब उत्तर- दिग्वर्ती शीतामुख वन की ज्यों है । इतना अन्तर और हैवह घटते घटते निषध वर्षधर पर्वत के पास १/१९ योजन चौड़ा रह जाता है । वह काले, नीले आदि पत्तों से युक्त होने से वैसी आभा लिये है । उससे बड़ी सुगन्ध फूटती है, देवदेवियां उस पर आश्रय लेते हैं, विश्राम करते हैं । वह दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं तथा वनखण्डों से परिवेष्टित है भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में वत्स विजय कहाँ है ? गौतम ! निषध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, शीता महानदी के दक्षिण में, दक्षिणी शीतामुख वन के पश्चिम में, त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में उसकी सुसीमा राजधानी है । त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत पर सुवत्स विजय है । उसकी कुण्डला राजधानी है । वहाँ तप्तजला नदी है । महावत्स विजय की अपराजिता राजधानी है । वैश्रवणकूट वक्षस्कार पर्वत पर वत्सावती विजय है । उसकी प्रभंकरा राजधानी है । वहाँ मत्तजला नदी है । रम्य विजय की अंकावती राजधानी है । अंजन वक्षस्कार पर्वत पर रम्यक विजय है । उसकी पद्मावती राजधानी है । वहाँ उन्मत्तजला महानदी है । रमणीय विजय की शुभा राजधानी है । मातंजन वक्षस्कार पर्वत पर मंगलावती विजय है । उसकी रत्नसंचया राजधानी है । शीता महानदी का जैसा उत्तरी पार्श्व है, वैसा ही दक्षिणी पार्श्व है । उत्तरी शीतामुख वन की ज्यों दक्षिणी शीतामुख वन है । वक्षस्कारकूट इस प्रकार हैं- त्रिकूट, वैश्रवणकूट, अंजनकूट, मातंजनकूट । [ १७५] विजय इस प्रकार हैं-वत्स विजय, सुवत्स विजय, महावत्स विजय, वत्सकावती विजय, रम्यविजय, रम्यकविजय, रमणीय विजय तथा मंगलावती विजय । [१७६] राजधानियां इस प्रकार हैं-सुसीमा, कुण्डला, अपराजिता, प्रभंकरा, अंकावती, पद्मावती, शुभा तथा रत्नसंचया । [१७७] वत्स विजय के दक्षिण में निषध पर्वत है, उत्तर में शीता महानदी है, पूर्व में दक्षिणी शीतामुख वन है तथा पश्चिम में त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत है । उसकी सुसीमा राजधानी है, जो विनीता के सदृश है । वत्स विजय के अनन्तर त्रिकूट पर्वत, तदनन्तर सुवत्स विजय, इसी क्रम से तप्तजला नदी, महावत्स विजय, वैश्रवण कूट वक्षस्कार पर्वत, वत्सावती विजय, मत्तजला नदी, रम्यविजय, अंजन वक्षस्कार पर्वत, रम्यक विजय, उन्मत्तजला नदी, रमणीय विजय, मातंजन वक्षस्कार पर्वत तथा मंगलावती विजय हैं । [१७८] भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में सौमनस वक्षस्कार पर्वत कहाँ है ? गौतम ! निषध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, अन्दर पर्वत के आग्नेय कोण में, मंगलावती विजय
SR No.009787
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size8 MB
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