SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-२/५१ पर्वग, हरित, औषधि, पत्ते तथा कोंपल आदि बादर वानस्पतिक जीवों को उत्पन्न करेगा । फिर रसमेघ प्रकट होगा । बहुत से वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, बेल, तृण, पर्वग, हरियाली, औषधि, पत्ते तथ कोंपल आदि में तिक्त, कटुक, कषाय, अम्ल तथ मधुर, पांच प्रकार के रस उत्पन्न करेगा । तव भरतक्षेत्र में वृक्ष, यावत् कोपल आदि उगेंगे । उनकी त्वचा, पत्र, प्रवाल, पल्लव, अंकुर, पुष्प, फल, ये सब परिपुष्ट होंगे, समुदित होंगे, सुखोपभोग्य होंगे । [५२] तब वे बिलवासी मनुष्य देखेंगे-भरतक्षेत्र में वृक्ष, गुच्छ, यावत् औषधि आये हैं । छाल, पत्र, इत्यादि सुखोपभोग्य हो गये हैं । वे बिलों से निकल आयेंगे । हर्षित एवं प्रसन्न होते हुए एक दूसरे को पुकार कर कहेंगे-देवानुप्रियो ! भरतक्षेत्र में वृक्ष आदि सब उग आये हैं । छाल, पत्र आदि सुखोपभोग्य हैं । इसलिए आज से हम में से जो कोई अशुभ, मांसमूलक आहार करेगा, उसकी छाया तक वर्जनीय होगी-। ऐसा निश्चय कर वे समीचीन व्यवस्था कायम करेंगे । भरतक्षेत्र में सुखपूर्वक, सोल्लास रहेंगे, । [५३] उत्सर्पिणी काल के दुःषमा नामक द्वितीय आरक में भरतक्षेत्र का आकारस्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उनका भूमिभाग बहुत समतल तथा रमणीय होगा । उस समय मनुष्यों का आकार-प्रकार कैसा होगा ? गौतम ! उन मनुष्यों के छह प्रकार के संहनन एवं संस्थान होंगे । उनकी ऊँचाई सात हाथ की होगी । उनका जघन्य अन्तमुहूर्त का तथा उत्कृष्ट कुछ अधिक सौ वर्ष का आयुष्य होगा । आयुष्य को भोगकर उन में से कई नरक-गति में, यावत् कई देव-गति में जायेंगे, किन्तु सिद्ध नहीं होंगे । गौतम ! उस आरक के २१००० वर्ष व्यतीत हो जाने पर उत्सर्पिणीकाल का दुःषमसुषमा नामक तृतीय आरक आरम्भ होगा । उसमें अनन्त वर्ण-पर्याय आदि क्रमशः परिवर्द्धित होते जायेंगे । उस काल में भरतक्षेत्र का आकार-स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उनका भूमिभाग बड़ा समतल एवं रमणीय होगा । उन मनुष्यों का आकार-स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उन मनुष्यों के छह प्रकार के संहनन तथा संस्थान होंगे । शरीर की ऊँचाई अनेक धनुष-परिमाण होगी । जघन्य अन्तमुहूर्त तथा उत्कृष्ट एक पूर्व कोटि तक आयुष्य होगा । कई नरक-गति में जाएंगे यावत् कई समस्त दुःखों का अन्त करेंगे । उस काल में तीन वंश उत्पन्न होंगे-१. तीर्थंकर-वंश, २. चक्रवर्ति-वंश तथा ३. दशावंश-बलदेव-वासुदेव-वंश । उस काल में तेवीस तीर्थंकर, ग्यारह चक्रवर्ती तथा नौ वासुदेव उत्पन्न होंगे । गौतम ! उस आरक का ४२००० वर्ष कम एक सागरोपम कोडा-कोडी काल व्यतीत हो जाने पर उत्सर्पिणीकाल का सुषम-दुःषमा नामक आरक प्रारम्भ होगा । उसमें अनन्त वर्ण-पर्याय आदि अनन्तगुण परिवृद्धि क्रम से परिवर्द्धित होंगे । वह काल तीन भागों में विभक्त होगा-प्रथम तृतीय भाग, मध्यम तृतीय भाग तथा अन्तिम तृतीय भाग । उस काल के प्रथम विभाग में भरतक्षेत्र का आकार-स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उसका भूमिभाग बहुत समतल तथा रमणीय होगा । अवसर्पिणी-काल के सुषम-दुःषमा आरक के अन्तिम तृतीयांश के समान में मनुष्य होंगे । केवल इतना अन्तर होगा, इसमें कुलकर नहीं होंगे, भगवान् ऋषभ नहीं होंगे । इस संदर्भ में अन्य प्राचार्यों का कथन है-उस काल के प्रथम विभाग में पन्द्रह कुलकर होगे-सुमति यावत् ऋषभ । शेष उसी प्रकार है । दण्डनीतियां विपरीत क्रम से होंगी । उस काल के प्रथम त्रिभाग में राज-धर्म यावत् चारित्र-धर्म विच्छिन्न हो जायेगा । मध्यम तथा अन्तिम त्रिभाग की
SR No.009787
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy