SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद जाता है । [२४] सात प्राणों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव, ७७ लवों का एक मुहूर्त होता है । [२५]उच्छ्वास-निःश्वास का एक मुहूर्त होता है ।। [२६] इस मुहूर्तप्रमाण से तीस मुहूर्तों का एक अहोरात्र, पन्द्रह अहोरात्र का एक पक्ष, दो पक्षों का एक मास, दो मासों की एक ऋतु, तीन ऋतुओं का एक अयन, दो अयनों का एक संवत्सर-वर्ष, पांच वर्षों का एक युग, बीस युगों का एक वर्ष-शतक, दश वर्षशतकों का एक वर्ष-सहस्र, सौ वर्षसहस्रों का एक लाख वर्ष, चौरासी लाख वर्षों का एक पूर्वांग, चौरासी लाख पूर्वांगों का एक पूर्व होता है । ८४ लाख पूर्वो का एक त्रुटितांग, ८४ लाख त्रुटितांगों का एक त्रुटित, ८४ लाख त्रुटितों का एक अडडांग, ८४ लाख अडडांगों का एक अडड, ८४ लाख अडडों का एक अववांग, ८४ लाख अववांगों का एक अवव, ८४ लाख अववों का एक हुहुकांग, ८४ लाख हुहुकांगों का एक हुहुक, ८४ लाख हुहुकों का एक उत्पलांग, ८४ लाख उत्पलांगों का एक उत्पल, ८४ लाख उत्पलों का एक पद्मांग, ८४ लाख पद्मांगों का एक पद्म, ८४ लाख पद्मों का एक नलिनांग, ८४ लाख नलिनांगों का एक नलिन, ८४ लाख नलिनों का एक अर्थनिपुरांग, ८४ लाख अर्थनिपुरांगों का एक अर्थनिपुर, ८४ लाख अर्थनिपुरों का एक अयुतांग, ८४ लाख अयुतांगों का एक अयुत, ८४ लाख अयुतों का एक नयुतांग, ८४ लाख नयुतांगों का एक नयुत, ८४ लाख नयुतों का एक प्रयुतांग, ८४ लाख प्रयुतांगों का एक प्रयुत, ८४ लाख प्रयुतों का एक चूलिकांग, ८४ लाख चूलिकांगों की एक चूलिका, ८४ लाख चूलिकाओं का एक शीर्षप्रहेलिकांग तथा ८४ लाख शीर्षप्रहेलिकांगों की एक शीर्षप्रहेलिका होती है । यहाँ तक ही गणित का विषय है । यहाँ से आगे औपमिक काल है । [२७] भगवन् ! औपमिक काल का क्या स्वरूप है ? गौतम ! औपमिक काल दो प्रकार का है-पल्योपम तथा सागरोपम । पल्योपम का क्या स्वरूप है ? गौतम ! पल्योपम की प्ररूपणा करूँगा-परमाणु दो प्रकार का है-सूक्ष्म तथा व्यावहारिक परमाणु । अनन्त सूक्ष्म परमाणु-पुद्गलों के एक-भावापन्न समुदाय से व्यावहारिक परमाणु निष्पन्न होता है । उसे शस्त्र काट नहीं सकता । [२८] कोई भी व्यक्ति उसे तेज शस्त्र द्वारा भी छिन्न-भिन्न नहीं कर सकता । ऐसा सर्वज्ञों ने कहा है । वह (व्यावहारिक परमाणु) सभी प्रमाणों का आदि कारण है । [२९] अनन्त व्यावहारिक परमाणुओं के समुदाय-संयोग से एक उत्श्लक्ष्णश्लक्षिणका होती है । आठ उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिकाओं की एक श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका होती है । आठ श्लक्ष्णश्लक्ष्णिकाओं का एक उर्ध्वरेणु होता है । आठ उर्ध्वरेणुओं का एक त्रसरेणु होता है। आठ त्रसरेणुओं का एक रथरेणु होता है । आठ स्थरेणुओं का देवकुरु तथा उत्तरकुरु निवासी मनुष्यों का एक बालाग्र होता है । इन आठ बालारों का हरिवर्ष तथा रम्यकवर्ष निवासी मनुष्यों का एक बालाग्र होता है । इन आठ बालानों का हैमवत तथा हैरण्यवत निवासी मनुष्यों का एक बालाग्र होता है । इन आठ बालारों का पूर्वविदेह एवं अपरविदेह निवासी मनुष्यों का एक बालाग्र होता है । इन आठ बालानों की एक लीख होती है । आठ लीखों
SR No.009787
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy