________________
६२
आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
होते हैं; अथवा एक औदारिकमिश्र० अनेक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है; अथवा एक औदारिकमिश्र०, अनेक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं; अथवा एक औदारिकमिश्र० अनेक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है; अथवा एक
औदारिकमिश्र०, अनेक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं; अथवा अनेक औदारिकमिश्र०, एक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है; अथवा अनेक औदारिकमिश्र०, एक आहारक०, एक औदारिकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं; अथवा अनेक औदारिकमिश्र०, एक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, अथवा अनेक औदारिकमिश्र० एक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा अनेक औदारिकमिश्र० अनेक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, अथवा अनेक औदारिकमिश्र०, अनेक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, अथवा अनेक औदारिकमिश्र०, अनेक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है; अथवा अनेक औदारिकमिश्र०, अनेक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं । इस प्रकार चतुःसंयोगी ये सोलह भंग होते हैं तथा ये सभी असंयोगी ८, द्विकसंयोगी २४, त्रिकसंयोगी ३२ और चतुःसंयोगी १६ मिलकर अस्सी भंग होते हैं ।
वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के प्रयोग असुरकुमारों के प्रयोग के समान समझना ।
[४४१] भगवन् ! गतिप्रपात कितने प्रकार का है ? गौतम ! पांच, प्रयोगगति, ततगति, बन्धनछेदनगति, उपपातगति और विहायोगति ।
___ वह प्रयोगगति क्या है ? गौतम ! पन्द्रह प्रकार की, सत्यमनःप्रयोगगति यावत् कार्मणशरीरकायप्रयोगगति । प्रयोग के समान प्रयोगगति भी कहना । भगवन् ! जीवों की प्रयोगगति कितने प्रकार की है ? गौतम ! पन्द्रह प्रकार की है, वे पूर्ववत् जानना । भगवन् ! नैरयिकों की कितने प्रकार की प्रयोगगति है ? गौतम ! ग्यारह प्रकार की, सत्यमनःप्रयोगगति इत्यादि । इस प्रकार वैमानिक पर्यन्त जिसको जितने प्रकार की गति है, उसकी उतने प्रकार की गति कहना । भगवन् ! जीव क्या सत्यमनःप्रयोगगति वाले हैं, अथवा यावत् कार्मणशरीरकाय प्रयोगगतिक हैं ? गौतम ! जीव सभी प्रकार की गति वाले होते हैं । उसी प्रकार वैमानिकों तक कहना ।
वह ततगति किस प्रकार की है ? ततगति वह है, जिसके द्वारा जिस ग्राम यावत् सनिवेश के लिए प्रस्थान किया हुआ व्यक्ति (अभी) पहुँचा नहीं, बीच मार्ग में ही है । वह बन्धनछेदनगति क्या है ? बन्धनछेदनगति वह है, जिसके द्वारा जीव शरीर से अथवा शरीर जीव से पृथक् होता है । उपपातगति कितने प्रकार की है ? तीन प्रकार की, क्षेत्रोपपातगति, भवोपपातगति और नोभवोपपातगति ।
क्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? पांच प्रकार की, नैरयिकक्षेत्रोपपातगति, तिर्यञ्चयोनिकक्षेत्रोपपातगति, मनुष्यक्षेत्रोपपातगति, देवक्षेत्रोपपातगति और सिद्धक्षेत्रोपपातगति।