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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
[१४१] उस लवणसमुद्र को धातकीखण्ड नामक वृत-वलयाकार यावत् समचक्रवाल संस्थित द्वीप चारो और से घेर कर रहा हुआ है । यह धातकी खण्ड का चार लाख योजन चक्रवाल विष्कम्भ और ४११०९६१ परिधि है । धातकी खण्ड में बारह चंद्र प्रभासीत होते थे-होते है और होंगे, बारह सूर्य इसको तापित करते थे-करते है और करेंगे, ३३६ नक्षत्र योग करते थे- करते है और करेंगे, १०५६ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे ।
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[१४२] धातकी खण्ड में ८,३०,७०० कोडाकोडी तारागण एक चंद्र का परिवार है। [१४३] धातकीखण्ड परिक्षेप से किंचित्न्यून ४११०९६१ योजन का है । [१४४] १२ चंद्र, १२ - सूर्य, ३३६ नक्षत्र एवं १०५६ नक्षत्र धातकीखण्ड में है । [१४५] ८३०७०० कोडाकोडी तारागण धातकीखण्ड में है ।
[१४६] कालोद नामक समुद्र जो वृत्त, वलयाकार एवं समचक्रविष्कम्भवाला है वह चारो ओर से धातकीखण्ड को धीरे हुए रहा है । उसका चक्रवाल विष्कम्भ आठ लाख योजन और परिधि ९१७०६०५ जोयण से किचिंत अधिक है । कालोद समुद्र में ४२ चंद्र प्रभासित होते थे-होते है और होंगे, ४२ - सूर्य तापित करते थे- करते है और करेंगे, ११७६ नक्षत्रोने योग किया था - करते है और करेंगे, ३६९६ महाग्रह भ्रमण करते थे- करते है और करेंगे, २८१२९५० काकडी तारागण शोभित होते थे-होते है और होंगे ।
[१४७] कालोद समुद्र की परिधि साधिक ९१७०६०५ योजन है ।
[१४८] कालोद समुद्र में ४२ - चंद्र, ४२ - सूर्य दिप्त है, वह सम्बध्धलेश्या से भ्रमण करते है ।
[१४९] कालोद समुद्र में ११७६ नक्षत्र एवं ३६९६ महाग्रह है । [१५०] उसमें २८,१२९५० कोडाकोडी तारागण है ।
[१५१] पुष्करवर नामका वृत्त-वलयाकार यावत् समचक्रवाल संस्थित द्वीप है कालोद समुद्र को चारो ओर से घीरे हुए है । पुष्करवर द्वीप का चक्रवाल विष्कम्भ सोलह लाख योजन है और उसकी परिधि १,९२,४९,८४९ योजन है । पुष्करवरद्वीप में १४४ चंद्र प्रभासित हुए थे होते है और होंगे, १४४ सूर्य तापित करते थे- करते है और करेंगे, ४०३२ नक्षत्रोने योग किया था - करते है और करेंगे, १२६७२ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, ९६४४४०० कोडाकोडी तारागण शोभित होंते थे-होते है और होंगे ।
[१५२] पुष्करवर द्वीप का परिक्षेप १९२४९८४९ योजन है ।
[१५३] पुष्करवर द्वीप में १४४ चंद्र और १४४ सूर्य भ्रमण करते है एवं प्रकाश करते है ।
[१५४] उसमें ४०३२ नक्षत्र एवं १२६७२ महाग्रह है ।
[१५५] ९६४४४०० कोडाकोडी तारागण पुष्करवर द्वीप में है ।
[१५६] इस पुष्करवर द्वीप के बहुमध्य देश भाग में मानुषोत्तर नामक पर्वत है, वृत्त एवं वलयाकार है, जिसके द्वारा पुष्करवर द्वीप के एक समान दो विभाग होते है - अभ्यन्तर पुष्करार्ध और बाह्य पुष्करावर्ध अभ्यन्तर पुष्करार्ध द्वीप समचक्रवाल संस्थित है, उसका